भारत बायोटेक द्वारा विकसित पहले नैजल (नाक से स्प्रे के जरिेये दिया जाने वाला) टीका को दूसरे, तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी गई है। बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि पहले चरण का ट्रायल 18 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों पर किया गया है।
इस समय देश में तीन वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और रूस की स्पुतनिक वी आम लोगों के लिए उपलब्ध है। सरकार ने मोडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन और जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को भी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है।
देश में अब तक कोरोना वैक्सीन के 52.95 करोड़ लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने के मुताबिक, बृहस्पतिवार को 18 से 44 वर्ष आयु समूह में 27,83,649 लोगों को प्रथम खुराक और 4,85,193 को दूसरी खुराक दी गई थी।
नैजल वैक्सीन बाजू के जरिए सुई के बजाए नाक से दी जाती है। उसका लक्ष्य डोज को सीधे सांस के रास्ता तक पहुंचाना होता है। बहुत ज्यादा नैजल स्पे की तरह. पिछले साल, वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन का निर्माण किया था जिसे एक डोज में नाक के जरिए दिया जा सके और चूहे में संक्रमण की रोकथाम में प्रभावी रही थी।
रिसर्च में बताया गया था कि नाक के जरिए डिलीवरी संक्रमण के शुरुआती जगह को निशाना बनाता है और अधिक इम्यून रिस्पॉन्स का कारण बनता है। कुछ दिनों पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना था कि भारत में नैजल वैक्सीन बनाने के लिए परीक्षण जारी हैं, और ये 'बच्चों के लिए गेम चेंजर हो सकता है।