मुंबई के भीमा कोरेगांव मामले में न्यायिक कार्यवाही के रिकॉर्ड की मांग करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एनआईए की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा से जवाब मांगा। मामले में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, एस ए नजीर और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने नवलखा को नोटिस जारी किया, जिन्हें हाल ही में दिल्ली की तिहाड़ जेल से मुंबई ले जाया गया है। पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड मांगने का हाई कोर्ट का आदेश उसके क्षेत्राधिकार के तहत नहीं था।
हाई कोर्ट ने एनआईए से मांगे हैं डाक्यूमेंट्स
एनआईए ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। यह मामला भीमा कोरेगांव केस में नवलखा मामले को दिल्ली से मुंबई ले जाने से जुड़ा हुआ है। 27 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने एनआईए से उन डाक्यूमेंट्स को तलब किया था जिसके आधार पर गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई ले जाया गया था।
हाई कोर्ट ने मुंबई ले जाने पर उठाए थे सवाल
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि एनआईए ने आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई ले जाने में अकारण ही जल्दबाजी की है, जबकि यह मामला विचाराधीन था। हाल ही में स्पेशल एनआईए कोर्ट ने गौतम नवलखा को 22 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इससे पहले शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिलने की वजह से अप्रैल में नवलखा ने एनआईए के आगे आत्मसमर्पण कर दिया था। नवलखा को शीर्ष अदालत ने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। इसके बाद नवलखा को तिहाड़ जेल में रखा गया था।
बता दें कि गौतम नवलखा उन पांच मानवाधिकार कायकर्ताओं में से एक हैं, जिन्हें माओवादियों के साथ कथित संबंधों और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया गया था।