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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की महाराष्ट्र सरकार ने की समीक्षा, नई एसआईटी बनाने पर भी विचार

पुणे के भीमा कोरेगांव हिंसा केस पर महाराष्ट्र सचिवालय में समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में डिप्टी सीएम...
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की महाराष्ट्र सरकार ने की समीक्षा, नई एसआईटी बनाने पर भी विचार

पुणे के भीमा कोरेगांव हिंसा केस पर महाराष्ट्र सचिवालय में समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में डिप्टी सीएम अजित पवार, गृह मंत्री अनिल देशमुख, डीजीपी और पुणे पुलिस के वरिष्ठ अफसर शामिल रहे। महाराष्ट्र सरकार इस मामले की जांच के लिए नई एसआईटी बनाने पर भी विचार कर रही है। बता दें कि इस मामले में पुणे पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ पिछले महीने ही चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें सुधीर धवले, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, रोना विल्सन, वरवारा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा शामिल हैं।

बता दें कि पुणे ग्रामीण पुलिस ने एक जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे सहित 163 लोगों को नोटिस जारी किया था। कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में आरोपी मिलिंद एकबोटे पर आरोप है कि उन्होंने कोरेगांव भीमा में 2018 में हिंसा भड़काई थी। इस मामले में पुणे ग्रामीण पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बाद में पुणे की अदालत ने आरोपी मिलिंद एकबोटे को अप्रैल 2018 में कुछ शर्तों के आधार पर जमानत दे दी थी। जनवरी 2019 में मिलिंद एकबोटे पर लगाई गईं पाबंदिया हटा ली गई थीं।

गौरतलब है कि हाल ही में एनसीपी नेताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों को बंद करने की मांग की थी।

1 जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में हुई थी हिंसा

बता दें कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में हुई यलगार परिषद के बाद 1 जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव हिंसा हुई थी। पुणे पुलिस के अनुसार यलगार परिषद का आयोजन प्रतिबंधित माओवादी संगठनों के सहयोग से किया गया था। इस मामले में पुलिस को आनंद तेलतुंबड़े की कई माओवादियों से बातचीत के सबूत मिले थे।

पुलिस का आरोप था कि कार्यक्रम के आयोजकों के नक्सलियों से संबंध थे। बीते साल अगस्त और सितंबर में 10 एक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार किया गया था। सभी आरोपी ट्रायल का सामना कर रहे हैं।

 ऐतिहासिक युद्ध के वार्षिक समारोह के लिए हर साल जुटते हैं लोग

गौरतलब है कि साल 1818 में मराठों की ब्राह्मण पेशवा आर्मी को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने परास्त कर दिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में बड़ी संख्या में दलित सैनिकों ने भाग लिया था। इस ऐतिहासिक युद्ध के वार्षिक समारोह को मनाने के लिए लोग कई वर्षों से पटने फाटक में कोरेगांव भीमा विजय स्तंभ पर पहुंचते हैं। इस दौरान कुछ वर्ष पहले शांति और सामाजिक सौहार्द भंग हुआ था। कोरेगांव भीमा में ऐतिहासिक युद्ध के 200वें समारोह के दौरान एल्गार परिषद के कार्यक्रम में जातीय हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद पुणे की पुलिस ने कई माओवादी नेताओं की गिरफ्तारी की थी।

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