भूषण स्टील के पूर्व प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज सिंघल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से दायर जमानत पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद नीरज सिंघल को जमानत दे दी थी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता पर मंगलवार को भूषण स्टील के पूर्व प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज सिंघल की जमानत पर रोक को लेकर सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
बैंक के कर्जे में हेराफेरी का आरोप
पूर्व प्रमोटर नीरज सिंघल पर आरोप है कि उन्होंने अलग-अलग 80 तरह की फर्मो को तैयार किया। उसके बाद बैंकों से 25सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया और उसमें हेराफेरी की। सिंघल को कंपनी लॉ की तहत केंद्र सरकार के मई 2016 के आदेश के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने सिंघल को पांच लाख रुपये के निजी मुचलके और दो-दो लाख रुपये के जमानती देने का आदेश देते हुए अंतरिम राहत दी थी।
मूल अधिकारों के उल्लंघन की दी थी दलील
हाईकोर्ट में एडवोकेट रंजना राय गवई, अर्शदीप सिंह और हेमंत शाह के जरिये दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि इसमें अनुचित अंकुश लगाए गए हैं तथा गिरफ्तारी गैरकानूनी बताया था क्योंकि जांच एजेंसी ने गिरफ्तारी के समय सिंघल को हिरासत में लेने की वजह के बारे में न तो मौखिक और न ही लिखित रूप से कोई जानकारी दी।