देश में कोरोना के कहर के बीच बिहार के बक्सर जिले में प्रशासन ने प्रशासन ने गंगा नदीं के महादेव घाट पर 45 शवों को देखा है। माना जा रहा है कि कोरोना से मौत होने के बाद लोग शव को जला भी नहीं रहे है, बल्कि उन्हें जैसे-तैसे अंतिम संस्कार के नाम पर गंगा में ही फेंक दे रहे हैं। गंगा नदी में शव गंगा नदी में तैर रहे हैं। तैरते शव मिलने के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है।
जिले के चौसा के खंड विकास अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि करीब 45 शव लाशें होंगे जो अलग-अलग जगहों से बह कर महादेव घाट पर आ गए हैं। ये शव हमारे नहीं है। हम लोगों ने घाट पर चौकीदार को नियुक्त कर रखा है ताकि यहां शवों का समुचित तरीके से अंतिम संस्कार कि किया जा सके। ये शव उत्तर प्रदेश से बहकर आ रहीं और यहां किनारे पर पहुंच गए हैं। यूपी के शवों को यहां पहुंचने से रोकने का कोई उपाय नहीं है इसलिए हम इनके निपटारे की भी व्यवस्था कर रहे हैं। चौसा बिहार-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित है।
बक्सर एसडीओ के.के. उपाध्याय ने कहा: "प्रारंभिक जांच के दौरान, यह सामने आया है कि शव क्षत विक्षत अवस्था में हैं और 5 से 6 दिन से अधिक पुराने हैं। हम घटना की जांच करने और गंगा के किनारे चौकसी बढ़ाने के लिए वाराणसी और इलाहाबाद (प्रयागराज) में अपने समकक्षों के साथ बातचीत कर रहे हैं।" शवों के निस्तारण का का जिला प्रशासन उचित तरीके से कर रहा है, महादेव घाट की स्थिति बेहद चौंकाने वाली है, जहां नदी में बह रहे शवों को सड़क के कुत्तों और गिद्धों से अलग किया जा रहा है।
चौसा के महादेव घाट के डोम राजा की पत्नी अंजोरिया देवी ने आरोप लगाया कि मृतक के रिश्तेदार भी घाट पर आ रहे हैं और शवों को बिना दाह संस्कार के गंगा में फेंक रहे हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "हर दिन लगभग 10 शव फेंके जा रहे हैं। जब उनसे ऐसा नहीं करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने हमारे साथ मारपीट की। वे यह भी तर्क देते हैं कि श्मशान का खर्च कौन उठाएगा।"