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भाजपा ने आश्रय गृह घोटाले का लगाया आरोप; मंत्री की शिकायत के बावजूद सतर्कता विभाग ने नहीं की कोई जांच: आप

भाजपा ने गुरुवार को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृहों में फर्जी कर्मचारियों को भुगतान से जुड़े...
भाजपा ने आश्रय गृह घोटाले का लगाया आरोप; मंत्री की शिकायत के बावजूद सतर्कता विभाग ने नहीं की कोई जांच: आप

भाजपा ने गुरुवार को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृहों में फर्जी कर्मचारियों को भुगतान से जुड़े करोड़ों रुपये के "घोटाले" का आरोप लगाया। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) दिल्ली सरकार का एक विभाग है जो गरीबों और असहायों को आश्रय गृह उपलब्ध कराकर उनकी सहायता करने के लिए जिम्मेदार है।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि इस भ्रष्टाचार में 250 करोड़ रुपये शामिल हैं और सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा इसकी जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस मामले में दिल्ली के लोकायुक्त के समक्ष शिकायत भी दर्ज कराई है।

सचदेवा ने आरोप लगाया, "घोटाले को सरकारी कर्मचारियों और आश्रय गृहों के संचालन का ठेका लेने वाले गैर-लाभकारी समूह की मिलीभगत से चलाया जा रहा है। इसमें एक ही व्यक्ति चार से पांच आश्रय गृहों में काम करता है और वहां से भुगतान लेता है।"

सचदेवा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया, "डीयूएसआईबी के नियमों के अनुसार, प्रत्येक आश्रय गृह को क्षमता के आधार पर पांच से छह देखभाल करने वाले कर्मचारियों के लिए वेतन आवंटित किया जाता है, जिसका भुगतान ठेकेदार एनजीओ को किया जाता है। हालांकि, भाजपा की एक टीम की जांच में इस प्रणाली में महत्वपूर्ण धोखाधड़ी का पता चला है।"

भाजपा नेता ने दावा किया कि कई आश्रय गृहों में पांच से छह देखभाल करने वालों को भुगतान किया जाता है, जबकि केवल दो ही काम पर मौजूद पाए गए। उन्होंने कहा, "भाजपा की टीम की जांच में प्रत्येक आश्रय गृह में तीन से चार फर्जी कर्मचारी पाए गए।" सचदेवा ने कहा कि जांच में पाया गया कि एक ही कर्मचारी के नाम अलग-अलग आश्रय गृहों में समान आधार संख्या और बैंक खातों के साथ पंजीकृत हैं।

इस बीच, सत्तारूढ़ आप ने एक बयान में कहा कि शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के मुख्य सचिव को कई शिकायतें दी हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है। आप ने कहा, "दिल्ली के उपराज्यपाल और भाजपा को जवाब देना चाहिए कि उपराज्यपाल के सीधे अधीन काम करने वाले सतर्कता निदेशालय ने मंत्री द्वारा दी गई किसी भी शिकायत पर कार्रवाई क्यों नहीं की।"

आप ने कहा कि यदि किसी राज्य में ऐसी सरकार होती, जहां प्रभारी मंत्री ने दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध कराए होते और भ्रष्टाचार के बारे में लिखित शिकायत दी होती, तो जांच और आरोपपत्र जारी किए गए होते।

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