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शाहीन बाग का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बीजेपी ने की जल्द सुनवाई की मांग

करीब दो महीने से सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन...
शाहीन बाग का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बीजेपी ने की जल्द सुनवाई की मांग

करीब दो महीने से सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भाजपा नेता ने कोर्ट से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर तत्काल सुनवाई करने की अपील की है। वहीं, चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रदर्शनकारियों को हटाने याचिका पर सुनवाई की तारीख के लिए मंगलवार को भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग को मॉनिटरिंग अधिकारी के पास जाने को कहा है। बता दें कि बीते साल 15 दिसंबर से कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग और ओखला अंडरपास बंद है। वहीं, चुनाव आयोग ने निर्णय लिया है कि राजेंद्र प्रसाद मीणा को डीसीपी (दक्षिण-दिल्ली) के पद पर नियुक्त किया जाएगा और उन्हें तत्काल प्रभार ग्रहण करने के लिए निर्देशित किया जाएगा। इससे पहले आयोग ने शाहीन बाग और जामिया गोलीकांड के बाद चिन्मय बिस्वाल को दक्षिण पूर्व दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) पद से हटा दिया था।

तत्काल सुनवाई की अपील

भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग ने दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क पर लंबे समय से हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से दिल्ली सहित आस-पास के लोगों को होने वाली कठिनाई को देखते हुए तत्काल सुनवाई के लिए अपील की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि इससे दिल्ली का आर्थिक नुकसान हो रहा है और ट्रैफिक को भारी भीड़ का सामना करना पड़ रहा है। राज्य का यह कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करे, जिन्हें सड़क पर हो रहे प्रदर्शन के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दिशानिर्देश की मांग

याचिका में सार्वजनिक स्थान पर बाधा डालने का हवाला देते हुए हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर कोर्ट से दिशानिर्देश की मांग की गई है। दलील देते हुए कहा गया है कि यह निराशाजनक है कि राज्य की मशीनरी, प्रदर्शनकारियों की गुंडागर्दी को मूक दर्शक बनकर देख रही है। यह लोकतंत्र और कानून व्यवस्था को खतरे में डाल रहा हैं। अब यह परिस्थिति कानून-व्यवस्था की स्थिति को अपने हाथ में ले चुका है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि शाहीन बाग का प्रदर्शन, निस्संदेह संवैधानिक है, लेकिन इसने अपनी वैधता खो दी है क्योंकि अब इसका उल्लंघन किया जा रहा है।

हाई कोर्ट ने दिए थे निर्देश

इससे पहले इसी तरह की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट 14 जनवरी को पुलिस प्रशासन को कानून का ध्यान रखते हुए अपने विवेके के मुताबिक स्थिति से निपटने का निर्देश दिया था। जिसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कोर्ट से एक न्यायाधीश या हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन की स्थिति पर निगरानी की मांग की है।

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