बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (बीएमएसी) ने बाबरी मस्जिद के अवशेष पर अपनी हिस्सेदारी के लिए अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की योजना बनाई है। बीएमएसी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने अयोध्या में मुस्लिम निवासियों से मलबे को हटाने के लिए जमीन की व्यवस्था करने के लिए बातचीत की है। आगे उन्होंने कहा, "हमने अपने वकील राजीव धवन के साथ इस मसले पर चर्चा की है। उनकी राय है कि हमें मस्जिद के मलबे का दावा करना चाहिए। इसलिए अगले हफ्ते हम दिल्ली में बैठक करेंगे और अपनी आगे की प्रक्रिया पर विचार करेंगे।" इस मामले में एक पक्ष मस्जिद के मलबे को हटाना चाहते हैं जिसे 1992 में ध्वस्त कर दिया गया था।
‘मंदिर निर्माण से पहले हटे मलबा’
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एसक्यूआर इलियास के चेयरमैन ने कहा, "हम मलबा हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे क्योंकि यह आवश्यक है मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले बाबरी मस्जिद का मलबा हटाया जाए।" वहीं, अयोध्या के मौलवी सैय्यद इखलाक अहमास ने कहा कि उन्हें अयोध्या में एक भूमि मिली है जहाँ बाबरी मस्जिद का मलबा आसानी से रखा जा सकता है।
ट्रस्ट की हो चुकी है घोषणा
इससे पहले 5 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मामले पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मोदी कैबिनेट ने बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट बनाने को मंजूरी दे दी। इसकी जानकारी लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी। इस ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र’ रखा गया है। ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे, जिनमें से एक सदस्य हमेशा दलित समाज से होगा।
इसी बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोर्ट के आदेश के अनुसार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या जिले में पांच एकड़ जमीन आवंटित कर दिया जो राम जन्म भूमि से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।