बता दें कि साल 2004 में एक जीआर निकालकर सरकारी नौकरी में पदोन्नति आरक्षण लागू किया था, जिसके तहत अनुसूचित जाति को 13%, अनुसूचित जनजाति को 7%, भटक्या विमुक्ति (बंजारा) जाति-जमाति और विशेष तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए 13% आरक्षण लागू किया गया था।
पीटीआई के मुताबिक, न्यायमूर्ति अनूप मोहता और अमजद सईद की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को यह कहते हुए सरकारी प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि यह संकल्प भारत के संविधान के विरूद्ध और मौजूदा कानूनों के विपरीत था। पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि प्रस्ताव को जारी किए जाने के बाद से पहले ही प्रदान किए गए पदोन्नति के संबंध में आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए।
हालांकि अदालत ने सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट में आदेश को चुनौती देने के लिए 12 सप्ताह के लिए अपना आदेश निलंबित कर दिया है। पीठ ने एक विजय घोगरे द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें पदोन्नति में आरक्षण रखने की वैधता को चुनौती दी गई थी।