बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को आर्यन खान का बेल ऑर्डर जारी किया। कोर्ट ने कहा है कि इस स्तर पर ये निर्णय कर पाना मुश्किल है कि आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा कमर्शियल क्वांटिटी के अपराध में शामिल हैं। रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है, जिससे साबित होता हो कि इन्होंने आपराधिक साजिश को अंजाम दिया हो। आरोपितों के खिलाफ पहली नजर में ड्रग्स पार्टी को लेकर साजिश रचने के सुबूत नहीं हैं। वहीं आदेश पर महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मंलिक ने कहा है कि फर्जीवाड़ा एक्सपोज़ हो गया है।
जस्टिस एन डब्ल्यू सांब्रे की एकल पीठ ने 28 अक्टूबर को आर्यन खान, उसके दोस्त अरबाज मर्चेंट और मॉडल मुनमुन धमेचा को एक लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दी थी। विस्तृत आदेश की प्रति शनिवार को मुहैया कराई गई। कोर्ट ने कहा कि आर्यन खान के मोबाइल फोन से लिए गए वाट्सएप चैट से पता चलता है कि ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं पाया गया, जो दिखाता हो कि उसने, मर्चेंट और धमेचा और मामले के अन्य आरोपियों ने अपराध करने की साजिश रची हो।
आदेश में कहा गया कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने आर्यन खान का जो स्वीकृति बयान दर्ज किया है, उस पर केवल जांच के मकसद से गौर किया जा सकता है और उसका इस्तेमाल यह निष्कर्ष निकालने के लिए हथियार के तौर पर नहीं किया जा सकता कि आरोपी ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है।
कोर्ट ने चौदह पन्नों के आदेश में कहा है,, ‘‘ऐसा कोई भी सकारात्मक साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है कि समान मंशा वाले सभी आरोपी गैरकानूनी कृत्य करने के लिए राजी हो गए।.’’ कोर्र्ट ने एनसीबी ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि सभी आरोपियों के मामलों पर विचार साथ में होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि तीनों ने पहले ही लगभग 25 दिन कैद में काट लिए हैं और अभियोजन ने अभी तक उनकी चिकित्सीय जांच तक नहीं कराई है, ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने ड्रग्स का सेवन किया था या नहीं। आर्यन खान के पास से कोई भी आपत्तिजनक पदार्थ नहीं मिला है और इस तथ्य पर कोई विवाद भी नहीं है. मर्चेंट और धमेचा के पास से अवैध मादक पदार्थ पाया गया, जिसकी मात्रा बेहद कम थी।
आदेश में कहा गया है, ‘‘कोर्ट को ऐसे मामलों में पहले यह तय करने की जरूरत है कि क्या इस बात के पर्याप्त सुबूत हैं कि वह पहली नजर में यह तय कर सके कि आवेदकों आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा ने साजिश रची और यह कि अभियोजन एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29के प्रावधान लगाने में सही है।’’ कोर्ट ने कहा,‘‘ केवल इसलिए कि आवेदक क्रूज पर यात्रा कर रहे थे, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के प्रावधान लगाने को संतोषजनक आधार नहीं कहा जा सकता।’’ जस्टिस सांब्रे ने कहा कि अगर अभियोजन के मामले पर गौर किया भी जाए तो भी इस तरह के अपराध में सजा एक वर्ष से अधिक नहीं है।
कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा कि फर्जीवाड़ा एक्सपोज़ हो गया है। मामले में नवाब मलिक लगातार दावा करते रहे हैं कि आर्यन खान को फंसाया गया है।