केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को दलित और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार पर कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने वाले बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल से कानून में संशोधन किया जाएगा। एससी/एसटी (अत्याचार निरोधक) बिल संसद के मानसून सत्र में ही लाया जाएगा। सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी और दलित संगठनों ने इसे संसद के इसी सत्र में लाने की मांग की थी।
इस बिल के पास हो जाने से एक्ट में वही स्थिति फिर से बहाल हो जाएगी जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले थी यह फैसला नौ अगस्त को दलित संगठनों के नौ अगस्त को होने वाले भारत बंद के पहले लिया गया है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और एलजेपी सांससद चिराग पासवान ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से मांग की थी कि वह एससी/एसटी एक्ट पर संसद में सात अगस्त को एक बिल लाकर पिछले कानून को बहाल करें। उन्होंने कहा था कि वैसे वह चाहते थे कि सरकार इसके बारे में एक अध्यादेश लाए लेकिन अभी ऐसा संभव नहीं है इसलिए हम इसे बिल के रूप में पेश करने मांग कर रहे हैं।
पासवान ने कहा था कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो दस अगस्त को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान होने वाला विरोध दो अप्रैल के आंदोलन से ज्यादा आक्रामक हो सकता है। दो अप्रैल को देश भर में हुए प्रदर्शन में दस से अधिक लोग मारे गए थे जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर आगजनी भी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अपने एक फैसले में एससी/एसटी एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी जिसका कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया और दलित संगठनों ने भी इसको लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था।