सीबीआइ ने भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या और ललित मोदी को देश में वापस लाने के प्रयासों पर हुए खर्च का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। जांच एजेंसी ने कहा कि उसे आरटीआइ ऐक्ट के तहत इस बात की छूट मिली हुई है। पुणे के ऐक्टिविस्ट विहार ध्रुवे ने इस बारे में जानकारी मांगी थी।
ध्रुवे ने यह जानना चाहा था कि 9,000 करोड़ रुपये का बैंक कर्ज लेकर भारत से फरार माल्या और आइपील मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच का सामना कर रहे मोदी को देश वापस लाने के लिए भारत सरकार ने कितना कानूनी खर्च और यात्रा व्यय किया है।
मोदी और माल्या दोनों इस समय लंदन में हैं और आरोपों से इनकार कर रहे हैं। आरटीआइ से जानाकारी मांगने वाला आवेदन वित्त मंत्रालय ने सीबीआई के पास भेजा था। इस आवेदन के जवाब में सीबीआई ने कहा कि उसे 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के जरिए आरटीआइ ऐक्ट के तहत किसी भी तरह का खुलासा करने से छूट मिली हुई है। ऐक्ट की धारा 24 के तहत कुछ संगठनों को आरटीआइ कानून के तहत छूट मिली हुई है। लेकिन इसी ऐक्ट में कहा गया है कि यदि मामला भ्रष्टाचार के आरोपों और मानवाधिकार के उल्लंघन से जु़ड़ा हो तो इन संगठनों को जवाब देना होगा।
हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने रेखांकित किया था कि धारा 24 के तहत सूचीबद्ध संगठन सूचना के ‘भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों’ से जुड़े होने पर खुलासे से छूट का दावा नहीं कर सकते।