सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में रामपुरहाट, बीरभूम हिंसा मामले को अपने हाथ में ले ली है और मामले की जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारी और सीएफएसएल विशेषज्ञों सहित टीम घटनास्थल की तरफ रवाना की गई।
इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीरभूम की हिंसा को समाज की चेतना को झकझोर देने वाला बताते हुए सीबीआई को राज्य पुलिस से मामले की जांच अपने हाथ में लेने और सुनवाई की अगली तारीख पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले पर अब सात अप्रैल को सुनवाई होगी।
मामले पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने कहा कि तथ्य और परिस्थितियों की मांग है कि न्याय के हित और समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जाए।
21 मार्च को बीरभूम के बोगटुई गांव में उपद्रवियों ने 10 घरों में आग लगा दी थी, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। हमले को स्थानीय के टीएमसी ‘उप-प्रधान’ भादू शेख की हत्या के प्रतिशोध के रूप में देखा गया था।
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया कि राज्य पुलिस या सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को इस मामले में आगे कोई जांच नहीं करने और पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा सभी दस्तावेजों के साथ-साथ मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों और संदिग्धों को केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने एसआईटी जांच में कमियों का ब्योरा दिए बिना कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए उम्मीद के मुताबिक जांच नहीं की गई।’’