केंद्र सरकार ने आधार से जुड़ी चिंताओं को निर्मूल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण( (यूआइडीएआइ) के सीईओ को कोर्ट में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन पेश करने की अनुमति दी जाए। आधार की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि पीठ के अन्य न्यायाधीशों के साथ विचार करने के बाद पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन का समय तय करेंगे।
पीठ ने कहा कि आधार योजनाओं से जुड़े कई तकनीकी मामले हैं, जैसे सर्विलांस, डेटा सुरक्षा और आधार नहीं होने या आधार की अनुपलब्धता के कारण कुछ लोगों को लाभ से वंचित रखना। केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यूआईडीएआई के सीइओ इन तकनीकी पहलूओं पर ज्यादा स्पष्टता से जानकारी दे सकेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के दो पहलू हैं। एक में भोजन का अधिकार और शिक्षा का अधिकार आता है, जबकि दूसरा स्व- विवेक के अधिकार और निजता के अधिकार से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि कौन सा पहलू मान्य होता है। उन्होंने कहा कि जीवन के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों को स्व-विवेक और निजता के अधिकार पर तरजीह दी जानी चाहिए।