उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से बड़ी तबाही हुई है। चमोली जिले जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने की आशंका है, लिहाजा आसपास के इलाकों से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। इससे ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है। आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मौके पर पहुंचीं है। श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में अलर्ट है।उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घटना स्थल पर पहुंच स्थिति की जानकारी ली है। उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। पूरे प्रशासनिक अमले को अलर्ट पर रखा गया है।
उत्तराखंड के सीएम ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपयों का मुआवजा देने का ऐलान भी किया। उन्होंने बताया कि यूपी, बिहार, गुजरात सरकार ने भी मदद की पेशकश की है। पीएम मोदी और गृह मंत्री ने फोन पर तत्काल बात की और हरसंभव मदद की बात कही।
आपदा को लेकर एनडीआरएफ के आईजी ने कहा रेसक्यू ऑपरेशन 24 से 48 घंटे तक जारी रह सकता है। उन्होंने कहा, "हम बचे और मृत दोनों की तलाश कर रहे हैं। आपदा 2013 जितनी बड़ी नहीं है।"
रेस्क्यू में जुटे आईटीबीपी के जवानों ने तपोवन की टनल में फंसे 16 लोगों को निकाला है। मौत से जंग जीतकर वापस आए लोगइस दौरान काफी खुश नजर आए। जैसे ही लोगों को टनल से बाहर निकाल गया उनके चेहरे पर मुस्कान दिखने लगी। 250 मीटर लंबी सुरंग में बचाव कार्य अभी भी जारी है।
नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में सेंट्रल वॉटर कमीशन ने जानकारी दी कि नदी का जल स्तर कम हो रहा है। सेंट्रल वॉटर कमीशन ने एनसीएमसी को जानकारी दी कि आसपास के गांव को खतरा नहीं है। एनसीएमसी ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां उत्तराखंड में सतर्क रहें।
मौसम विभाग ने नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी को जानकारी दी है कि 2 दिनों तक कोई बारिश नहीं होगी इसलिए रेस्क्यू में किसी भी तरीके की दिक्कत नहीं आएगी। साथ ही आसपास के जो पड़ोसी गांव हैं उनको भी वाटर लेवल बढ़ने से कोई नुकसान अब नहीं होगा। निचले गांव में बाढ़ का खतरा नहीं है क्योंकि जल स्तर लगातार घट रहा है।
डीआरडीओ के हिमस्खलन एक्सपर्ट की टीम भी उत्तराखंड के लिए एयरलिफ्ट की गई है। यह विशेष टीम हिमस्खलन की निगरानी और अग्रिम चेतावनी के लिए है। डीआरडीओ की ये टीम राहत, बचाव और बाद में पुनर्वास कार्यक्रम में मदद करने के लिए भेजी गई है।