ईडी ने डील के एवज में लगभग एक करोड़ रुपये कार्ति चिदंबरम की कंपनी को मिलने का दावा किया है और अब इसे जब्त करने की तैयारी में है। ईडी के तीन बार समन भेजने के बावजूद कार्ति चिदंबरम पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए हैं। पी चिदंबरम के वित्तमंत्री रहने के दौरान 2007 में एयरसेल को मैक्सिस ने खरीदा था और इसके लिए एफआइपीबी ने क्लीयरेंस दी थी।
इन सूत्रों के अनुसार ईडी के पास कार्ति चिदंबरम की कंपनी में एयरसेल मैक्सिस डील के दौरान दो लाख डालर मैक्सिस ग्रुप की कंपनियों से आए थे, जो तत्कालीन विनिमय दर के हिसाब से लगभग एक करोड़ रुपये बनता है। ये पैसे 2007 से 2010 के बीच चेस मैनेजमेंट सर्विसेज में मैक्सिस ग्रुप की विभिन्न कंपनियों से आए थे। डील के दौरान एडवांटेज स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग में भी मैक्सिस की कंपनियों से लेन-देन किए गए थे। ईडी कार्ति चिदंबरम से इस पर सफाई चाहती थी। लेकिन कार्ति के पूछताछ के लिए हाजिर नहीं होने के बाद ईडी अपने सबूतों के आधार पर इस पैसे को जब्त करने जा रही है। इसके बाद कार्ति को पीएमएलए एडजुकेटिंग अथोरिटी में अपनी सफाई देनी होगी। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2007 में तय नियम के मुताबिक कोई भी विदेशी कंपनी दूरसंचार क्षेत्र की भारत की कंपनी में 74 फीसदी से अधिक निवेश नहीं कर सकती थी। लेकिन मैक्सिस को लगभग 100 फीसदी विदेशी निवेश लाने की अनुमति दे दी गई थी, जो एफआइपीबी के तय नियमों के खिलाफ था। आशंका है कि एफआइपीबी ने यह फैसला तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम के दबाव में लिया था।
एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन पर पहले ही ईडी का शिकंजा कस चुका है। दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के साथ ही ईडी उनकी कंपनियों के 752 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है। (एजेंसी)