'अगर हम एक सामूहिक दर्द की अभिव्यक्ति और अपने मूलभूत अधिकार की मांग तक नहीं कर पाएं तो आईएएस बनने का सपना हमें छोड़ देना चाहिए।'
यह दिल्ली के मुखर्जी नगर में यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र हिमांशु सिंह की आवाज है।
मुखर्जी नगर, नेहरू विहार के इन छात्रों में इन दिनों आक्रोश है। वजह यहां के प्रॉपर्टी डीलर और ब्रोकर का किराये के नाम पर मनमाना रवैया है। साथ ही पुलिस प्रशासन छात्रों का सहयोग करने और उन्हें भरोसा दिलाने की जगह उन पर ही लाठियां बरसा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 अगस्त को नेहरू विहार के एक प्रॉपर्टी डीलर डिम्पी और एक छात्र के बीच झड़प हो गई। आरोप है कि छात्र जब पुलिस स्टेशन गया तो एफआईआर लिखने से मना कर दिया गया। इस पर छात्र एकजुट हुए तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। छात्र इस रवैये के खिलाफ और अपनी कई मांगों के साथ शनिवार शाम को नेहरू विहार में कैंडल मार्च करने वाले हैं।
छात्रों की बात पुलिस तक पहुंचाने के इस संघर्ष में ‘डार्क हॉर्स’ के लेखक और यूपीएससी अभ्यर्थी नीलोत्पल मृणाल पर पुलिस ने लाठी बरसाई और उन्हें चोट आई। नीलोत्पल का कहना है, ‘हम बाहरी छात्र कितनी नारकीय अवस्था में कीमत से चौगुना किराया देकर रहते हैं। सवाल ये है कि जब कोई छात्र समूह अपने वाजिब मुद्दों, आत्मसमान के लिए सड़क पर था तो क्या पुलिस की लाठी इन वाजिब मुद्दों को ही मार-मार कर दफन कर देगी?’
वह कहते हैं, ‘जब एक व्यवस्था खुलेआम गुंडों को संरक्षण देती है और पुलिस उनकी लठैत बन छात्रों को पीटती है तो हमारा लहू खौलता क्यों नहीं?‘
पुलिस थाने में चोटिल नीलोत्पल मृणाल
एक अन्य अभ्यर्थी सन्नी कुमार कहते हैं, ‘हम मनमाना किराया दे ही रहे हैं। प्रॉपर्टी डीलर भी लूट रहे हैं। बिजली बिल सरकारी दर से दोगुना भुगत ही रहे हैं। कमरे के नाम पर ऑक्सीजन विहीन कमरा मिलता है। ऊपर से मार खा रहे हैं वह अलग। क्यों?’
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब स्थानीय लोगों ने छात्रों के साथ मारपीट की हो। हिमांशु सिंह बताते हैं, ‘बीते दिन नेहरू विहार के वर्धमान मॉल के पास कुछ स्थानीय लोगों ने मिलकर एक छात्र को पीट दिया। छात्र जब पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने जाता है तो पुलिस वाले तमाम बहाने बनाकर एफआईआर लिखने से मना कर देते हैं। जब काफी लड़के एकजुट हो गए तब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस न तो उस अपराधी को पकड़ पाई है और न ही ऐसी कोई मंशा ही दिखा रही है।‘
छात्रों ने इस मुद्दे पर एकजुट होने और आंदोलन शुरू करने की अपील की है। उनके कुछ सवाल और मांगें स्पष्ट हैं। उनका कहना है कि नेहरू विहार, मुखर्जीनगर, गांधी विहार जैसे इलाकों में लाखों छात्र रह रहे हैं लेकिन किराये का पूरा कारोबार अवैध ढंग से चल रहा है, जिस पर लगाम कसने की आवश्यकता है। छात्र मांग करते हैं कि-
1. कमरा किराये पर देने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और विधि सम्मत हो। कोर्ट से रेंट एग्रीमेंट बने जिसमें मकान का किराया, मकान का आकार, मकान में उपलब्ध सुविधाएं, सुरक्षा राशि, ब्रोकरेज राशि सबका स्पष्ट जिक्र हो।
2. रूम रेंट के बदले पक्की रसीद देना अनिवार्य हो। रसीद में मकान मालिक का पैन नंबर भी दर्ज हो ताकि किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा न हो पाए। रूम रेंट की राशि कैश की बजाय चेक या ऑनलाइन भुगतान के रूप में स्वीकार की जाए।
3. रूमरेंट मनमाना न हो। सर्किल रेट के हिसाब से किराया तय हो। बिना खिड़की वाले 25 गज के कमरों का किराया 10 हजार रुपये प्रतिमाह को आधा किया जाए या सर्किल रेट के हिसाब से किराया तय हो, जिससे तीन से चार गुना अधिक किराया वसूला जा रहा है।
4. बिजली बिल के भुगतान में मकान मालिक दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित दर की बजाय 8 रुपये प्रति यूनिट से चार्ज करते हैं। यह व्यवस्था समाप्त हो और सरकारी दर से ही छात्रों को भुगतान की सुविधा मिले।
5. छात्रों का एक संगठन बने। जिसका चुनाव आपसी सहमति से किया जाए। यह इसलिए आवश्यक है ताकि छात्रों के साथ यदि कोई ज्यादती होती है, हिंसा होती है तो इस छात्र फोरम में बात उठाई जाए और इसके विरुद्ध व्यवस्थित तरीके से लड़ाई लड़ी जाए। इस संगठन का उद्देश्य और कार्यक्षेत्र सिर्फ और सिर्फ यहां के छात्र हितों को डील करना होगा। इसका अन्यत्र किसी गतिविधि में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।