कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. करण सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। पीएम को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस नेता ने जम्मू एयरपोर्ट का नाम बदल राजा हरि सिंह एयरपोर्ट करने की मांग की है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता डॉ करण सिंह ने जम्मू एयरपोर्ट का नाम बदलने की मांग की है। इसके लिए पार्टी नेता ने पीएम मोदी को चिट्टी भी लिखी है। इस पत्र में करण सिंह ने जम्मू एयरपोर्ट का नाम बदलकर राजा हरि सिंह एयरपोर्ट रखने की बात कही है।
कौन थे राजा हरि सिंह
आज से 70 साल पहले महाराजा हरि सिंह ने ही जम्मू-कश्मीर को भारत में विलय की घोषणा की थी। राजा हरि सिंह जम्मू के अंतिम राजा थे।
20 साल में बने जम्मू रियासत के सेनापति
13 साल की उम्र में हरि सिंह को अजमेर के मायो कालेज में पढ़ने के लिए भेज दिया गया था। इसके अगले ही साल हरि सिंह के पिता महाराजा अमर सिंह की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनके चाचा प्रताप सिंह को जम्मू-कश्मीर का राजा बनाया गया। 20 साल की उम्र में हरि सिंह को जम्मू रियासत का मुख्य सेनापति नियुक्त किया गया।
जातिप्रथा, वेश्यावृत्ति पर लगाई थी रोक
हरि सिंह प्रगतिशील ख्याल के इंसान थे। उन्होंने 1925 में महाराजा बनने के बाद राज्य में बाल विवाह पर बैन लगा दिया। इसके अलावा उन्होंने राज्य में सभी के लिए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जिसे एक बड़े फैसले के रूप में जाना जाता है।
दलित समुदाय के लिए खोले थे मंदिरों के दरवाजे
हरि सिंह ने दलित समुदाय के लोगों के लिए मंदिरों के दरवाजे खुलवाए। इसके अलावा भी हरि सिंह ने अपने सेवाकाल में जातिप्रथा, वेश्यावृत्ति रोकने समेत कई सामाजिक सुधारों के लिए काम किया।
कश्मीर के भारत में विलय की घोषणा
आजादी के बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर रियासत पर हमला बोल दिया जिसके बाद 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने राज्य के भारत में विलय के लिए एक कानूनी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया था। इस दस्तावेज जिसे 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' कहा गया, को भारतीय स्वतंत्रता कानून, 1947 के तहत ही साइन किया गया था।
इस पर हस्ताक्षर करते ही महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर को भारत के प्रभुत्व वाला राज्य मानने पर सहमत हो गए थे, जिसके बाद से आज तक जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है।
जम्मू के बने राष्ट्रपति
हरि सिंह को आजादी के बाद जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक जम्मू का राष्ट्रपति बनाया गया। बाद में यह पद राज्यपाल में बदल दिया गया। हरि सिंह ने अपने जीवन के आखरी पल जम्मू में अपने हरि निवास महल में बिताया। उनकी मृत्यु 26 अप्रैल 1969 को मुंबई में हुई। उनकी इच्छानुसार उनकी राख को जम्मू लाया गया और तावी नदी में बहा दिया गया।