भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने रविवार को जोर देकर कहा कि न तो न्यायपालिका और न ही कार्यपालिका, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और इसके स्तंभों को मिलकर काम करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश न केवल मजबूत हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी विकसित हुआ है और ऐसा करना जारी है।
न्यायमूर्ति गवई, जिन्होंने इस सप्ताह की शुरूआत में 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी, ने अपने अभिनंदन समारोह और बार काउंसिल महाराष्ट्र एवं गोवा द्वारा आयोजित राज्य वकीलों के सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका और न ही संसद सर्वोच्च है, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश का बुनियादी ढांचा मजबूत है और संविधान के तीनों स्तंभ समान हैं। उन्होंने कहा, "संविधान के सभी अंगों को एक-दूसरे के प्रति उचित सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए।" इस कार्यक्रम के दौरान न्यायमूर्ति गवई द्वारा सुनाए गए 50 उल्लेखनीय निर्णयों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया गया।