अर्नब गोस्वामी को पत्र लिखने और डराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया है। साथ ही कोर्ट ने मामले में गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा है कि क्यों ने अर्णब गोस्वामी को जारी नोटिस का खुलासा किए जाने पर अवमानना कार्रवाई की जाए। इस पर सचिव से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस समय नाराजगी जताई जब वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने गोस्वामी के लिए विधानसभा सचिव के पत्र की सामग्री पत्रकार को सौंपी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह पत्र गंभीरतापूर्वक न्याय प्रशासन में दखल देने वाला है, क्योंकि इसमें कोर्ट जाने को लेकर गोस्वामी को धमकाया गया है। कोर्ट ने कहा, ''पत्र लिखने वाले का स्पष्ट उद्देश्य याचिकाकर्ता को भयभीत करना प्रतीत होता है, क्योंकि उसने कोर्ट का रुख किया और उसे ऐसा करने को लेकर जुर्माने की धमकी दी गई।'' कोर्ट ने आगे कहा, ''विधानसभा को यह समझने की सलाह दी जानी चाहिए थी कि कोर्ट जाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकार है।''
चीफ जस्टिस की यह टिप्पणी महाराष्ट्र विधान सभा द्वारा अभिनेता सुशांत राजपूत की मौत के मामले में रिपोर्टिंग के लिए उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस को चुनौती देते हुए गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आई।