एक बार फिर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कश्मीर को लेकर विवादों में आ गया है। विवाद बढ़ने पर कश्मीर को लेकर सेंटर फॉर वुमन स्टडीज द्वारा आयोजित वेबिनार को रद्द कर दिया गया। वेबिनार के लिए जारी आमंत्रण पत्र पर शिक्षकों और छात्रों ने विरोध करना शुरू कर दिया था। कुलपति एम. जगदीश कुमार ने जेएनयू के आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक संदेश पोस्ट किया कि मामले की जांच की जा रही है।
शुक्रवार को रात 8.30 बजे सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज द्वारा वेबिनार आयोजित किया जाना था। वेबिनार विषय 'भारतीय कब्जे वाला कश्मीर' लिखा गया था। सूत्रों का कहना है कि कुछ फैकल्टी सदस्यों ने देखते ही विश्वविद्यालय प्रशासन को मामले की सूचना दी और केंद्र के फैकल्टी सदस्यों को आधिकारिक मेल के जरिए वेबिनार रद्द करने के लिए कहा गया। इसके एक घंटे के भीतर इसे रद्द कर दिया गया।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक ट्वीट में कहा कि जेएनयू फिर से देशद्रोहियों का अड्डा बन गया है. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इसे एक गैर संवैधानिक वेबिनार करार दिया। एबीवीपी ने कहा कि कि वेबिनार वेबपेज ने जम्मू और कश्मीर को 'भारत अधिकृत कश्मीर' के रूप में संबोधित किया है, जिस पर उन्हें आपत्ति है।
जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने बताया कि सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज द्वारा 'जेंडर रेजिस्टेंस एंड फ्रेश चैलेंजेज इन पोस्ट-2019 कश्मीर' शीर्षक पर वेबिनार का आयोजन किया जाना था। इसको लेकर विवाद शुरू हो गया, विवाद बढ़ने पर जेएनयू प्रशासन ने कार्यक्रम रद्द करने का निर्देश दिया है। वीसी ने कहा कि इस तरह के आयोजन की योजना बनाने से पहले संकाय सदस्य ने प्रशासन की अनुमति नहीं ली। वेबिनार के नोटिस में कहा गया है, 'यह बात कश्मीर में भारत के लिए लिंग प्रतिरोध की नृवंशविज्ञान पर आकर्षित और निर्माण करेगी। यह बेहद आपत्तिजनक और उकसाने वाला विषय है, जो हमारे देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल खड़ा करता है। जेएनयू इस तरह के बहुत ही संदिग्ध वेबिनार का मंच नहीं हो सकता है। मामले की जांच की जा रही है।'
विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। शिक्षकों के मुताबिक ऐसा करके जेएनयू को देश विरोधी दर्शाने का प्रयास किया जा रहा था। इस वेबिनार को रद्द करवाने पर शिक्षकों ने संतोष जताया है।