देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की सख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि देश में कोरोना का रिकवरी रेट 49.2 फीसदी हो गया है। ठीक हुए मरीजों की संख्या एक्टिव केस से ज्यादा हो गई है। वहीं, आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है और अन्य देशों के मुकाबले मृत्यु दर भी कम है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि हमें उस देश से तुलना करनी चाहिए जिनकी जनसंख्या हमारे बराबर है। जिनकी जनसंख्या हमारे देश से काफी कम है उनसे हम तुलना नहीं कर सकते हैं।
दुनिया में मृत्यु दर सबसे कम
वहीं, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव बताया कि देश में अब तक 0.73 फीसदी आबादी ही कोरोना वायरस से संक्रमित हुई है। सबसे अच्छी बात यह है कि यहां कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर भी दुनिया में सबसे कम है। सिरो सर्वे के नतीजों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में प्रति लाख आबादी के हिसाब से कोविड-19 मरीजों की संख्या और मृत्यु की दर दुनिया में सबसे कम है। हालांकि, उन्होंने कहा कि हमारी बड़ी आबादी अब भी खतरे में है, इसलिए संक्रमण तेजी से फैल सकता है।
लॉकडाउन से हुआ फायदा
उन्होंने कहा सर्वे के लिए देश के 83 जिलों के 28,595 घरों का दौरा किया और 26,400 लोगों के खून के नमूने लिए। सर्वे में पाया गया कि इन जिलों में 0.73 फीसदी लोगों में ही संक्रमण के सबूत मिले। महानिदेशक भार्गव ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में 1.09 और शहरी झुग्गी बस्तियों में 1.89 गुना ज्यादा खतरा है। ऐसे में हमें इलाज और दवाइयों के इतर बचाव की सारी सावधानियां बरतने पर जोर देना होगा। शहरों के स्लम क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है। लॉकडाउन से कोरोना को कंट्रोल में किया गया, हालांकि सभी को मास्क लगाना, हाथ धोना और सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखना जरूरी है। बुजुर्ग, महिलाएं और छोटे बच्चों के लिए जोखिम काफी ज्यादा है। राज्य सरकारों को स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लागू करना होगा।