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मेजर गोगोई कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में दोषी, होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई

श्रीनगर होटल कांड में भारतीय सेना के मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। सेना की...
मेजर गोगोई कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में दोषी, होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई

श्रीनगर होटल कांड में भारतीय सेना के मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। सेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने मेजर गोगोई को ड्यूटी के दौरान कहीं और होने और निर्देशों के खिलाफ जाकर स्थानीय लोगों से मेलजोल बढ़ाने का दोषी पाया गया है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

कोर्ट आफ इन्क्वायरी ने पाया कि मेजर गोगोई ने एक संघर्ष वाले क्षेत्र में एक स्थानीय महिला से संबंध बनाकर सेना के नियम का उल्लंघन किया और उन्होंने ड्यूटी के स्थान से दूर रहकर मानक संचालक प्रक्रिया का उल्लंघन किया। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

पत्थरबाज को जीप से बांधने पर चर्चा में आए थे मेजर

पत्थरबाज को जीप से बांधकर घुमाने के बाद चर्चा में आए मेजर गोगोई को एक विवाद के बाद पुलिस ने 23 मई को हिरासत में लिया था। वह 18 वर्षीय महिला के साथ श्रीनगर के एक होटल में कथित तौर पर घुसने की कोशिश कर रहे थे। इसके कुछ दिन बाद सेना ने इस घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पहलगाम में कहा था कि अगर गोगोई को किसी भी अपराध में दोषी पाया जाता है तो कठोर सजा दी जाएगी।

ये हैं दिशा-निर्देश

सेना के जवान या फिर अधिकारियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश हैं। इसके तहत कोई भी जवान अपने अधिकारी को बिना बताए कहीं भी और कभी भी नहीं जा सकता है। इसके अलावा जवान बिना सुरक्षा के भी कहीं नहीं जा सकते हैं। जम्मू कश्मीर समेत दूसरे ऐसे राज्य जो आतंकवाद की मार झेल रहे हैं और जहां पर आतंकी हमलों का सबसे अधिक अंदेशा होता है, वहां जवानों की सुरक्षा को लेकर इस तरह के नियम बनाए गए हैं। नियमानुसार जम्मू कश्मीर में तैनात जवान सिविलयन से खुलेआम भी नहीं मिल सकते हैं। उन्हें अपनी पहचान भी छिपानी होती है

कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी

सेना में किसी तरह का अपराध या अनुशासन हीनता होने पर सबसे पहले कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश जारी होते है। जांच में जिस भी सैन्य कार्मिक या अफसर पर लगाए गए आरोप प्रमाणित होने तथा संगीन मामला होने पर जांच अधिकारी तुरंत ही सजा दे सकता है। इसके अलावा बड़ा मामला होने पर समरी ऑफ एविडेंस की सिफारिश करता है। शुरुआती जांच में दोष सिद्ध होने पर सक्षम अधिकारी मामले के और सबूत जुटाने के लिए जांच करता है। इस आधार पर तुरंत सजा देने का भी प्रावधान है। इस दौरान सभी लीगल दस्तावेज एकत्रित होते है। जांच पीठासीन अधिकारी तुरंत सजा या कोर्ट मार्शल की सिफारिश करता है।

 

 

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