अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्नाटक के पूर्व दिवंगत मंत्री एसएस काशप्पनावर के बेटे देवानंद की मां चाहती हैं कि बेटा 60 दिनों के भीतर 4 करोड़ की रकम बहू को दे दे। बता दें कि फैमिली कोर्ट ने 24 जुलाई को यह फैसला सुनाया था। इस केस में खास बात यह है कि कोर्ट में देवानंद की मां ने बेटे का साथ ना देते हुए अपनी बहू के पक्ष में बयान दिया था। महिला ने साल 2015 में अपने पति से अलग होने और 4.85 करोड़ रुपये के गुजारा खर्च के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी साल 2012 से अलग रह रहे थे और इस दौरान वे एक दिन भी साथ नहीं रहे। इस दौरान महिला ने अपने पति के पास लौटने की कोई कोशिश नहीं की।
कोर्ट ने देवानंद की मां का भी बयान दर्ज किया। उन्होंने कोर्ट के सामने कहा कि जब उनके बेटे ने याचिकाकर्ता से शादी की उस वक्त वह पहले से शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी है। उन्होंने यह भी कहा कि बेटे ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर दूसरी शादी की थी और शादीशुदा जिंदगी की जिम्मेदारियां निभाए बिना उसे छोड़ दिया। शिकायतकर्ता की सास ने बताया कि उनके बेटे के पास काफी जमीन है, उसके पास मर्सेडीज कार है, कारोबार है और वह खूब पैसा कमाता है। एक मर्सेडीज कार की कीमत 1 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
कोर्ट ने यह भी पाया कि नोटिस भेजे जाने के बाद भी देवानंद कोर्ट में पेश नहीं हुआ। शिकायतकर्ता ने बताया कि देवानंद के साथ उनकी शादी तब हुई थी जब वह बीबीए की पढ़ाई कर रही थीं। यह शादी उनकी मर्जी के खिलाफ हुई थी। याचिकाकर्ता ने 22 मई 2011 को देवानंद से श्री आर वीराममंदी स्टेडियम, इलकल, हंगंड तालुक, बागलकोट जिले में शादी की थी।
गौरतलब है कि हिंदू मैरेज ऐक्ट 1955 के मुताबिक, तलाक की याचिका दायर करने के दो साल पहले से अगर पति-पत्नी साथ नहीं रहे तो याचिकाकर्ता तलाक का हकदार है।