रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वायरस अटैक पर बैंकों को चेतावनी जारी की है। आरबीआई ने बैंकों को सावधान करते हुए कहा है कि रैंसमवेयर वायरस का अटैक एटीम पर हो सकता है। इसलिए बैंकों को सचेत रहना चाहिए। आरबीआई ने साफ किया है कि जिन एटीएम नेटवर्क के साफ्टवेयर अपडेट हो चुके हैं उन्हें ही चालू किया जाए। आरबीआई ने यह कदम उन एटीएम के लिए उठाया गया है, जहां साइबर सुरक्षा पुख्ता नहीं हैं। जानकारी के मुताबिक आने वाले समय में ऐसे एटीएम की पहचान करके वहां साइबर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। साइबर अटैक के खतरे को देखते हुए गृह मंत्रालय भी पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं।
100 देशों पर हुए हमले
आपको बता दें कि पिछले दिनों अमेरिका ब्रिटेन सहित लगभग सौ देशों पर इस तरह का हमला देखा गया। बताया गया कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) से चोरी किए गए ‘साइबर हथियारों’ का इस्तेमाल कर भारत समेत लगभग 100 देशों पर बड़े पैमाने पर साइबर हमले किए गए।
टीसीएस ने उठाया बड़ा कदम
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने अपने कुछ ऑफिस में साइबर अटैक को ध्यान में रख कर बड़ा कदम उठाया है। आईटी कंपनी टीसीएस ने एहतियात बरतते हुए अपने पुराने कम्प्यूटरों को अपग्रेड करने का काम शुरू कर दिया। जो कर्मचारी पहले इन पुराने पीसी में काम कर रहे थे, उन्हें काम से हटाकर कंपनी ने उन कम्प्यूटरों को अपडेट करने का काम शुरू कर दिया है। ताकी संभावित खतरों को टाला जा सके।
ऐसे बचें ‘रैंसमवेयर’ के हमले से
-अपनी सभी फाइलों का एक अलग सिस्टम में बैकअप ले लें। इसके लिए सबसे बेहतर एक एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव रहेगी जो इंटरनेट से जुड़ी न हो। ऐसे में अगर आप साइबर अटैक का शिकार होते भी हैं, तब भी आपकी सारी इन्फर्मेशन आपके पास सुरक्षित रहेगी।
-फर्जी ईमेल्स, वेबसाइट्स पर दिखने वाले संदिग्ध ऐड्स और अनवेरिफाइड ऐप्स से सावधान रहें। दरअसल रैंसमवेयर के काम करने के लिए यह जरूरी होता है कि हैकर्स शिकार बनाए जाने वाले सिस्टम में उस खतरनाक सॉफ्टवेयर डाउननोड करें। इसी के जरिए बाद में अटैक किया जाता है।
-किसी भी ऐंटीवाइरस का इस्तेमाल कर सिस्टम में रैंसमवेयर को डाउनलोड होने से रोका जा सकता है।
-अपने सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें। कंपनियां अकसर कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करने के लिए अपडेट्स प्रोवाइड कराती रहती हैं। ऐसे में आपके लिए यह जरूरी है कि सॉफ्टवेयर का सबसे लेटेस्ट वर्जन आपके सिस्टम में मौजूद रहे।ज्यादातर ऐंटीवाइरस प्रोग्राम्स ऐसे फाइलों को स्कैन कर लेते हैं जिनमें रैंसमवेयर होने की आशंका रहती है।