दिल्ली हाइकोर्ट ने डेनमार्क की 52 साल की महिला के साथ हुए गैंगरेप के मामले में पांच अभियुक्तों को मौत तक जेल में रहने की आजीवन कारावास की सजा की सोमवार को पुष्टि कर दी। हाइकोर्ट ने दोषियों की वह याचिका खारिज कर दी जो उन्होंने 2016 में निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को चुनौती देते हुए दाखिल की थी।
जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आइएस मेहता की बेंच ने कहा कि पीड़ित का बयान और डीएनए रिपोर्ट इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य बने। इनसे ही दोषियों का अपराध साबित हुआ। हालांकि हाइकोर्ट ने निचली अदालत में एक प्रत्यक्षदर्शी द्वारा दिए गए शपथपत्र को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसे स्वभाविक गवाह नहीं माना जा सकता। इस प्रत्यक्षदर्शी ने कहा था कि उसने अपराधियों को पीड़ित के साथ वारदात को अंजाम देते देखा था।
Delhi High Court upholds life imprisonment of all five convicts in 2014 Danish woman gang-rape case.
— ANI (@ANI) April 16, 2018
बेंच ने कहा कि पीड़ित द्वारा दिए गए सबूत और डीएनए रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट इस बात से संतुष्ट है कि निचली अदालत ने दोषियों को जो सजा दी है वह सही है। इसके अनुसार अपील खारिज की जाती है।
निचली अदालत ने 10 जून 2016 को पांच बलात्कारियों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए इसे अमानवीय और क्रूर बताया था। 2014 में हुई इस घटना से देश की काफी बदनामी हुई थी। कोर्ट ने पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 376 (डी) (गैंगरेप), 395 (डकैती), 366 (अपराध) सहित कई अन्य धाराओं से तहत दोषी ठहराया था।
पुलिस के अनुसार नौ आवारा लोगों ने चाकू के बल पर 14 जनवरी 2014 की रात को डेनमार्क की इस महिला के साथ दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक डिविजनल रेलवे ऑफिसर्स क्लब के सुनसान इलाके में ले जाकर चाकू की नोंक पर लूटपाट करने के बाद गैंगरेप किया था। पीड़ित महिला एक जनवरी को यहां आई थी और आगरा जानने से पहले कुछ दिन यहां रुकी थी। कई स्थानों का भ्रमण करने के बाद वह 13 जनवरी को वापस लौटी और स्टेशन के पास पहाड़गंज के एक होटल में रुकी। अगले दिन वह रास्ता भूल गई और एक अभियुक्त से रास्ता पूछा। इसी के बाद बदमाशों ने उसके साथ अपराध को अंजाम दिया।