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राष्ट्रपति कोविंद के भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को महात्मा गांधी के समकक्ष रखने पर छिड़ी बहस

देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर रामनाथ कोविंद के पहले ही भाषण पर छिड़ गई तीखी बहस
राष्ट्रपति कोविंद के भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को महात्मा गांधी के समकक्ष रखने पर छिड़ी बहस

कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति कोविंद ने अपने पहले संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का जिक्र तक नहीं किया। जबकि कई लोगों को उनके भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समकक्ष रखना भी अखर रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेकर देश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उन्होंने अपने भाषण में जवाहरलाल नहेरू के कैबिनेट मंत्रियों के नाम लिए लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी का नाम नहीं लिया। 

मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में अपने शपथ ग्रहण भाषण के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी के अलावा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय को याद किया था। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी।"  

भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के प्रणेता माने जाते हैं। राष्ट्रपति के संबोधन में उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समतुल्य रखाा जाना कई लोगों को नागवार गुजर रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छिड़ गई है। कई लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने गांधी-नेहरू के अलावा अन्य महान विभूतियों के साथ न्याय नहीं किया और राष्ट्रपति के भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को याद किए जाने में कोई हर्ज नहीं है।

कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि नए राष्ट्रपति ने अपने भाषण में राष्ट्रपिता गांधी के समकक्ष जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय को खड़ा कर इतिहास का अपमान किया है। दीन दयाल उपाध्याय न ही भारत की आजादी के समय के नेता है और न ही आजादी के बाद उन्होंने भारत को मॉडर्न बनाने में कोई योगदान दिया।

उधर, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि हर भाषण में नेहरू जी के नाम का दबाव देकर उन्हें छोटा करने की कोशिश की गई है। भारत के राष्ट्रपति ने अगर दीन दयाल उपाध्याय का नाम लिया तो यह गर्व की बात है, उनकी विचारधारा को सम्मान देने की बात है। हर बात पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। 

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