कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति कोविंद ने अपने पहले संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का जिक्र तक नहीं किया। जबकि कई लोगों को उनके भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समकक्ष रखना भी अखर रहा है।
अपने भाषण में कोविंद दीनदयाल, सरदार पटेल आदि को नहीं भूले पर पहले प्रधानमंत्री नेहरू और पहले दलित राष्ट्रपति नारायणन को ज़रूर भूल गए! सायास?
— Om Thanvi (@omthanvi) July 25, 2017
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेकर देश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उन्होंने अपने भाषण में जवाहरलाल नहेरू के कैबिनेट मंत्रियों के नाम लिए लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी का नाम नहीं लिया।
किसी भी कोण से, क्या गांधी और दीनदयाल समतुल्य हो सकते हैं! स्वाधीनता आंदोलन के बाहर का कोई व्यक्ति गांधी के आसपास भी कैसे रखा जा सकता है!
— urmilesh (@UrmileshJ) July 26, 2017
मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में अपने शपथ ग्रहण भाषण के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी के अलावा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय को याद किया था। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी।"
#RamNathKovind के #दीनदयाल उपाध्याय के ज़िक्र पर विवाद गलत.राष्ट्रपति की अभिव्यक्ति पर सवाल खड़े करना क्या #intolerance नहीं? @RakeshSinha01
— Akhilesh Anand (@akhileshanandd) July 25, 2017
भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के प्रणेता माने जाते हैं। राष्ट्रपति के संबोधन में उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समतुल्य रखाा जाना कई लोगों को नागवार गुजर रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छिड़ गई है। कई लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने गांधी-नेहरू के अलावा अन्य महान विभूतियों के साथ न्याय नहीं किया और राष्ट्रपति के भाषण में दीनदयाल उपाध्याय को याद किए जाने में कोई हर्ज नहीं है।
कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि नए राष्ट्रपति ने अपने भाषण में राष्ट्रपिता गांधी के समकक्ष जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय को खड़ा कर इतिहास का अपमान किया है। दीन दयाल उपाध्याय न ही भारत की आजादी के समय के नेता है और न ही आजादी के बाद उन्होंने भारत को मॉडर्न बनाने में कोई योगदान दिया।
नवनिर्वाचित महामहिम को यह समझना होगा कि बापू और दीनदयाल उपाध्याय का हिन्दुस्तान एक साथ नहीं बन सकता.. मीलों का फासला है सोच में. जय हिन्द
— Manoj K Jha (@manojkjhadu) July 25, 2017
उधर, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि हर भाषण में नेहरू जी के नाम का दबाव देकर उन्हें छोटा करने की कोशिश की गई है। भारत के राष्ट्रपति ने अगर दीन दयाल उपाध्याय का नाम लिया तो यह गर्व की बात है, उनकी विचारधारा को सम्मान देने की बात है। हर बात पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
Sonia Gandhi & @OfficeOfRG shud apologise 4insulting President of India Shri Kovind ji . Speech policing is intolerance in post independence
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) July 25, 2017