सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 35 ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अहम सुनवाई टल गई है। अब इस पर अगले साल 19 जनवरी को सुनवाई होगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई टालने की मांग की थी। केंद्र ने कहा था कि दिसंबर में पंचायत चुनाव के बाद सुनवाई की जाए।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडीशनल अटॉर्नी जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां स्थानीय चुनावों की तैयारियों में तैनात हैं। वहीं, केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि स्थानीय चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने दिए जाएं।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर नई याचिका पर सुनवाई टाल दी है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनाव को देखते हुए सुनवाई स्थगित की जाने की मांग की गई थी। इस बारे में राज्य सरकार के वकील एम शोएब आलम ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि राज्य सरकार आगामी पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय और निगम चुनावों की तैयारी को देखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित रखे।
अलगावादियों ने किया था घाटी बंद का ऐलान
गुरुवार को इसी मुद्दे पर अलगावादियों ने घाटी बंद का ऐलान किया था। स्कूल-कॉलेज और दुकानें बंद रही। बंद की वजह से सड़कों पर वाहन नहीं दिखे। शुक्रवार को भी घाटी में हड़ताल का आह्वान किया गया है। सुनवाई को देखते हुए आज कश्मीर में कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है।
मामले में बीते छह अगस्त को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए 27 अगस्त का दिन तय किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित कर दी गई और आज दोबारा इसकी सुनवाई शुरू की जाएगी। पिछले दिनों घाटी में 35 ए को लेकर अफवाह उड़ने से कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे।
क्या है अनुच्छेद 35ए
अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर में रहने वाले नागरिकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। साथ ही राज्य सरकार को भी यह अधिकार हासिल है कि आजादी के समय के किसी शरणार्थी को वो सहूलियत दे या नहीं। वो किसे अपना स्थायी निवासी माने और किसे नहीं। असल में जम्मू-कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थायी निवासी मानती है जो 14 मई, 1954 के पहले कश्मीर आकर बसे थे।
इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति राज्य में संपत्ति नहीं खरीद सकता है, न ही वो यहां बस सकता है। इसके अलावा यहां किसी भी बाहरी के सरकारी नौकरी करने पर मनाही है. और न ही वो राज्य में चलाए जा रहे सरकारी योजनाओं का फायदा ले सकता है।
जम्मू-कश्मीर में रहने वाली लड़की यदि किसी बाहरी व्यक्ति से शादी करती है तो उसे राज्य की ओर से मिले विशेष अधिकार छीन लिए जाते हैं। इतना ही नहीं उसके बच्चे भी हक की लड़ाई नहीं लड़ सकते।