दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को आधार को चल-अचल संपत्ति से जोड़ने के मामले में दायर याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरिशंकर ने इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही याचिकाकर्ता से कहा है कि एक जनहित याचिका दायर कर यूआईडीएआई को तीसरा प्रतिवादी बनाए।
बेनामी लेन देन पर रोक लगेगी
वकील अश्ननी उपाध्याय ने दायर कर मांग की है कि चल-अचल संपत्तियों को आधार के साथ लिंक करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा निर्देश जारी किए जाएं ताकि काला धन-भ्रष्टाचार रोकने के साथ बेनामी लेन देन पर लगाम लगाने जा सके।
कानून बनने के बाद उठी मांग
साल 2016 में केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था। इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। केंद्र की मौजूदा सरकार ने इस कानून में संशोधन के लिए साल 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया। अगस्त 2015 में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी। बाद में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दे दी। अब इसी अधिनियम को और पुख्ता और कारगर बनाने के लिए संपत्ति को आधार से जोड़े जाने की मांग उठाई जा रही है।
इससे पहले फर्जी और डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्रों को रोकने के लिए उन्हें आधार संख्या से जोड़ने के लिए दायर की गई थी। इस पर कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग जाने को कहा था।