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दिल्ली हिंसाः हाईकोर्ट का पुलिस को निर्देश- कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा पर दर्ज करें FIR

दिल्ली हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा...
दिल्ली हिंसाः हाईकोर्ट का पुलिस को निर्देश- कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा पर दर्ज करें FIR

दिल्ली हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा द्वारा कथित घृणा फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने  और गुरुवार तक इस बारे में अवगत कराने को कहा है। इससे पहले हाईकोर्ट ने तीनों नेताओं के भाषणों की वीडियो क्लिप भी देखी। मामले की सुनवाई अब कल होगी।

बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा कि वीडियो क्लिप में कपिल मिश्रा के साथ दिख रहा अफसर कौन है। जस्टिस एस मुरलीधर और अनूप जे भंभानी की पीठ ने विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन द्वारा दिए आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि वह आज खुद पुलिस कमिश्नर के साथ बैठेंगे और सभी वीडियो क्लिप देखने के बाद एफआईआर दर्ज करने के बारे में फैसला लेंगे। कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर निराशा भी जताई।

कोर्ट ने पूछा क्या वीडियो देखा है

कोर्ट ने हिंसक घटनाओं को लेकर पुलिस को फटकार भी लगाई और पुलिस का पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या आपने कपिल मिश्रा के भाषण का वीडियो देखा। इस पर उन्होंने मना कर दिया और कहा वे टीवी न्यूज चैनल नहीं देखते। हाई कोर्ट ने तुषार मेहता से सभी वीडियो देखने की सलाह दी। वीडियो देखने के बाद सॉलिसिटर जनरल से कोर्ट ने कहा कि पुलिस कमिश्नर को सलाह दें कि कथित भड़काऊ बयान देने वाले भाजपा के तीनों नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करें। हाई कोर्ट का कहना था कि यह केवल 3 वीडियो क्लिप तक ही सीमित नहीं है और पुलिस ऐसे अन्य क्लिप में भी एफआईआर दर्ज करेगी।

'दिल्ली में एक और 1984 नहीं होने देंगे'

इससे पहले कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली में दूसरा '1984' नहीं होने देंगे। 1984 में सिख दंगा हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। कोर्ट ने कहा कि सीएम और डिप्टी सीएम को लोगों के बीच विश्वास निर्माण के लिए प्रभावित क्षेत्रों का भी दौरा करना चाहिए। यह समय है लोगों तक पहुंचने का।

एंबुलेंस उपलब्ध कराने के दिए निर्देश

हाईकोर्ट ने पीड़ितों के सुरक्षित मार्ग के लिए हेल्पलाइन, निजी एंबुलेंस उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। न्यायालय ने पुनर्वास के लिए आश्रयों की स्थापना का भी निर्देश दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में स्थिति खराब हो गई है। अदालत ने पीड़ितों और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए वकील जुबैदा बेगम को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया।

मंगलवार को दाखिल याचिका में मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर और कार्यकर्ता फराह नकवी ने घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किये जाने और हिंसा में हताहत लोगों को मुआवजा दिये जाने की मांग की।

दिल्ली हिंसा पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी पर केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डीसीपी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं,  एक कांस्टेबल की जान भी जा चुकी है। पुलिस अधिकारी के सिर में चोट लगी है और वह वेंटिलेटर पर है। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जल्द से जल्द संवैधानिक पदाधिकारियों को क्षेत्र का दौरा करना चाहिए। आपको आश्वस्त होना चाहिए कि आप कहीं भी रहें आप सुरक्षित रहेंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से दंगा पीड़ितों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए भी कहा।

हिंसा में अब तक 22 की मौत

उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद और मौजपुर में सीएए के समर्थक और विरोधी समूहों के बीच झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों ने कई मकानों, दुकानों और गाड़ियों में आग लगा दी और पथराव किया। शहर के चांदबाग और भजनपुरा इलाके में भी हिंसा की घटनाऐं हुई हैं । संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर सोमवार से भड़की हिंसा में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल सहित 22 लोगों की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हुए हैं।

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