दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल फऱवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान लूटपाट और परिसर में आग लगाने के आरोप में दर्ज चार प्राथमिकी रद्द कर दी हैं। कोर्ट ने कहा कि एक ही जैसी घटना में पांच अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज नहीं की जा सकती हैं। एक ही संज्ञेय अपराध के लिए दूसरी प्राथमिकी और नयी जांच नहीं हो सकती है। अदालत ने इसे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय किए गए नियमों के ख़िलाफ़ बताया।
यह घटना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मौजपुर इलाक़े में हुई थी। इस मामले में एक घर में लगी आग उसके आसपास के घरों में भी फैल गयी थी और काफी सामान जल गया था। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘यह नहीं कहा जा सकता कि घटनाएं अलग थीं या अपराध अलग थे। जैसा कि पहले कहा गया है, संबंधित प्राथमिकी में दायर आरोपपत्रों के अवलोकन से पता चलता है कि वे कमोबेश एक जैसे हैं और आरोपी भी वही हैं। हालांकि, अगर आरोपी के खिलाफ कोई सामग्री मिलती है तो उसे प्राथमिकी में दर्ज किया जा सकता है।’’ अदालत ने पुलिस को बची हुई एक एफ़आईआर के साथ मामले में आगे की कार्रवाई करने के लिए कहा
दिल्ली पुलिस ने एक ही अभियुक्त का नाम पांच-पांच अलग-अलग मामलों में भी दर्ज कर दिया था। इस मामले में आतिर नाम के शख़्स की ओर से याचिका दायर की गई थी। अदालत की दिल्ली पुलिस के कामकाज पर ये गंभीर टिप्पणी है और ऐसा नहीं है कि ऐसा कोई पहली बार हुआ है। हाई कोर्ट या कुछ और स्थानीय अदालतों ने, बीते एक से डेढ़ साल में लगातार दिल्ली पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाती रही हैं।
जुलाई, 2021 में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के कामकाज और उसके रवैये पर सवाल उठाते हुएर कहा था कि वह दिल्ली पुलिस के 'उदासीन रवैये' से बहुत दुखी है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अभियुक्त के कथित कबूलनामे के लीक होने की जांच रिपोर्ट पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह 'आधा-अधूरा और बेकार काग़ज़ का टुकड़ा है।'
इस साल जून में देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को जमानत देते वक़्त भी दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी। अदालत ने पुलिस की चार्जशीट को सिरे से खारिज कर दिया था।
बता दें कि पिछले साल 23 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे शुरू हुए थे और ये तीन दिन तक चले थे। इस दौरान यह इलाक़ा बुरी तरह अशांत रहा और दंगाइयों ने वाहनों और दुकानों में आग लगा दी थी। जाफराबाद, वेलकम, सीलमपुर, भजनपुरा, गोकलपुरी और न्यू उस्मानपुर आदि इलाक़ों में फैल गए इस दंगे में 53 लोगों की मौत हुई थी और 581 लोग घायल हो गए थे। दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस ने 755 एफ़आईआर दर्ज की थीं और 1,818 लोगों को गिरफ़्तार किया था। हालात तब और बिगड़ गए थे जब कुछ ही दिन बाद कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था।