दिल्ली दंगा मामले में साजिश रचने के आरोप में कोर्ट ने गिरफ्तार पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य और जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और जामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार आरोपियों को 15 जून को जमानत दे दी थी। इस दौरान अदालत ने दिल्ली पुलिस पर सख्त टिप्पणी की थी। छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने के हाई कोर्ट के निर्णय को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।
इन छात्रों को पिछले साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामले में यूएपीए के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। जमानत मिलने के बाद भी जेल से रिहा नहीं किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे थे। हाई कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलका और उतने की रकम की दो जमानती जमा करने की शर्त पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया था।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्ट सत्र न्यायाधीश रिवंदर बेदी ने गुरुवार को आरोपियों का जेल से रिहा करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद नताशा और देवांगना ने मंगलवार को अदालत में जेल से रिहा होने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की थी।
16 जून को, दिल्ली पुलिस ने जमानत पर रिहा करने से पहले उनके पते, जमानत और आधार कार्ड की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए अदालत से और समय की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था।
पुलिस के आवेदन को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने उन्हें दिल्ली में आरोपियों के पते की पुष्टि करने और गुरुवार को शाम 5 बजे तक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया। अन्य राज्यों में उनके स्थायी पते के सत्यापन पर अदालत ने 23 जून को रिपोर्ट मांगी है।
हाईकोर्ट ने पिंजरा तोड़ के कार्यकर्ता नरवाल और कलिता और तन्हा को अपने पासपोर्ट सौंपने और अभियोजन पक्ष के गवाहों को कोई प्रलोभन नहीं देने या मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया।