आज दिल्ली हिंसा मामले पर हाईकोर्ट फिर से सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इस पर हाई कोर्ट ने 13 अप्रैल तक का समय देते हुए केंद्र सरकार को भड़काऊ भाषण पर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।
इस दौरान भड़काऊ बयानों को लेकर एफआईआर दर्ज करने से जुड़ी याचिका पर पुलिस ने हाईकोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में अब तक 106 गिरफ्तारी और 48 एफआईआर दर्ज की गई। वही, बुधवार को दिल्ली हिंसा की सुनवाई करने वाले जज का तबादला हो गया है। अब इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की अगुवाई वाली बेंच कर रही है।
पुलिस बोली- एफआईआर का यह सही समय नहीं
दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने यह फैसला लिया है कि वो विद्वेषपूर्ण भाषणों पर एफआईआर दर्ज नहीं करेंगे क्योंकि इसका ये सही समय नहीं है। इससे शांति बहाली में कोई मदद नहीं मिलेगी और दिल्ली के हालात सामान्य नहीं होंगे। दिल्ली पुलिस ने यह भी बताया कि हिंसा के मामले में अब तक उन्होंने 48 एफआईआर दर्ज कर ली है।
याचिकाकर्ता ने चुनिंदा सिर्फ तीन वीडियो का हवाला दिया
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे पास इन तीन हेट स्पीच के अलावा कई और हेट स्पीच है, जिसको लेकर शिकायत दर्ज कराई गई। याचिकाकर्ता ने चुनिंदा सिर्फ तीन वीडियो का हवाला दिया है। एक जनहित याचिका में ऐसा नहीं होता। केंद्र को पक्षकार बनाया जाए या नहीं ये कोर्ट को तय करना है, याचिकाकर्ता को नहीं। हम हिंसा को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
पुलिस ने अब तक 48 एफआईआर दर्ज किए
इस पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने पूछा कि 11 एफआईआर दर्ज की गई हैं? जवाब देते हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कल तक हमने 11 और आज 37 एफआईआर दर्ज किया। कुल 48 एफआईआर दर्ज किए गए है। याचिकाकर्ता इस पर एफआईआर चाहता है कि कपिल मिश्रा ने ऐसा किया या वारिस पठान ने ऐसा किया। मौत या आगजनी या लूटपाट होने पर हमें एफआईआर दर्ज करनी होती है। अन्य मुद्दों में समय लगता है।
पुलिस को लगाई गई थी फटकार
इससे पहले नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हिंसा पर काबू पाने में नाकाम रही पुलिस को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने पुलिस को नोटिस जारी कर गुरुवार को सवा दो बजे कोर्ट में जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को भी भड़काऊ भाषण के वीडियो देखने के बाद कोर्ट में जवाब देने का निर्देश दिया। बाद में मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
जस्टिस एस. मुरलीधर का तबादला
दिल्ली हिंसा की सुनवाई करने वाले हाई कोर्ट के जज का तबादला कर दिया गया है। जस्टिस एस. मुरलीधर को दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट भेजा गया है। कहा जा रहा है कि दिल्ली हिंसा मामले में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस मुरलीधरन ने पुलिस को फटकार लगाई थी जिसके बाद उनका तबादला कर दिया गया। हालांकि इस मामले की सुनवाई से पहले ही यानि 12 फरवरी को ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपनी बैठक में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी।
12 फरवरी को हुआ था ट्रांसफर
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े के साथ बातचीत करने के बाद जस्टिस एस. मुरलीधर का तबादला दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में किया है। इसके साथ ही उन्हें अपने कार्यालय का प्रभार संभालने का निर्देश भी दिया है, लेकिन जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 फरवरी को हुई अपनी बैठक में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी।
तबादले को लेकर उठ रहे सवाल
12 फरवरी की सिफारिश के बाद 26 फरवरी को हुए तबादले को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि बुधवार की सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं, जिनमें कपिल मिश्रा, परवेश शर्मा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई ना कर पाने को लेकर पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने इसको लेकर गुरुवार यानी आज पुलिस कमिश्नर से जवाब मांगा था। इसके बाद ही उनके तबादले की खबर आ गई।