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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन: पंजाब में ‘रेल रोको’ आंदोलन जारी, 2 अक्टूबर तक चलेगा विरोध

हाल ही में सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों (अब कानून) को लेकर जमकर विरोध जारी है। ऐसे में किसान समूहों...
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन: पंजाब में ‘रेल रोको’ आंदोलन जारी, 2 अक्टूबर तक चलेगा विरोध

हाल ही में सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों (अब कानून) को लेकर जमकर विरोध जारी है। ऐसे में किसान समूहों और राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा रविवार को हस्ताक्षर किए गए तीन बिलों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन अब दो अक्टूबर तक जारी रहेगा। कृषि विधेयकों (अब कानून) के विरोध में कांग्रेस 2 अक्टूबर को 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस'  का आयोजन करेगी। इससे एक दिन पहले यानि एक अक्टूबर को किसान देशव्यापी रेल आंदोलन करेंगे। पंजाब के अमृतसर में किसान अब भी रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पंजाब में किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन छठें दिन भी जारी है। किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारी 24 सितंबर से जालंधर, अमृतसर, मुकेरियां और फिरोजपुर में रेल पटरियों पर बैठे हैं। 1 अक्टूबर से मालवा क्षेत्र के किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है।

 

पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध में अमृतसर के देवीदासपुर गांव में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के सदस्य आज काले कपड़े पहनकर काला दिवस मना रहे हैं। प्रदर्शनकारी लोगों को कॉरपोरेट घरानों के प्रोडक्ट का बहिष्कार करने का आह्वान कर रहे हैं।

 

2 अक्टूबर को कांग्रेस करेगी 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' का आयोजन

 

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कृषि विधेयकों (अब कानून) के विरोध में कांग्रेस 2 अक्टूबर को 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस'  का आयोजन करेगी। इन प्रदर्शनों में देश भर के हर विधानसभा और जिला मुख्यालयों पर धरने और मार्च होंगे। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी कांग्रेस शासित राज्यों से अपील की है कि वे कानून पारित करके इन अत्याचारी विधानों को दरकिनार करने की संभावनाएं तलाशें ताकि केंद्र द्वारा किसानों पर हो रहे घोर अन्याय को रोका जा सके।

सोमवार को विभिन्न राज्यों में हुआ प्रदर्शन

इससे पहले कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ सोमवार को विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन किया और कई नेताओं ने ऐलान किया कि वे इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। कांग्रेस ने शहीद भगत सिंह की जयंती के मौके पर उनके कथनों का उल्लेख करते हुए इन कानूनों का विरोध किया। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कई अन्य नेताओं ने भगत सिंह के पुश्तैनी गांव में धरना भी दिया। बता दें कि पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों में किसानों का मानना है कि इस कानून से खरीद का पूरा काम कंपनियों के हवाले हो जायेगा और एमएसपी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार इन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। उन्होंने आगाह किया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (आईएसआई) पंजाब में इन कानूनों के खिलाफ पैदा हुए आक्रोश का फायदा उठा सकती है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, गोवा, ओडिशा और तमिलनाडु में कांग्रेस एवं विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया।

सोनिया गांधी ने राज्यों को दी ये सलाह

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा कि वे इन कानूनों को निष्प्रभावी करने के मकसद से अपने यहां कानून पारित करने की संभावनाओं पर विचार करें। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सोनिया ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (ए) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें। वेणुगोपाल ने कहा कि यह अनुच्छेद इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने वाले’ केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का अधिकार देता है।

राहुल गांधी ने सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कृषि संबंधी कानूनों को लेकर सोमवार को सरकार पर फिर निशाना साधा और आरोप लगाया कि किसानों की आवाज संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई। उन्होंने राज्यसभा में इन विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान हुए हंगामे से जुड़ी एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘‘कृषि संबंधी कानून हमारे किसानों के लिए मौत का फरमान हैं। उनकी आवाज संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई। यहां इस बात का सबूत है कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है।’’

प्रियंका गांधी ने भी साधा निशाना

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘‘शहीद भगत सिंह ने कहा था कि शोषण करने वाली व्यवस्था पूंजीपतियों के फायदे के लिए किसानों मजदूरों का हक छीनती है। भाजपा सरकार अपने खरबपति मित्रों के लिए किसानों की एमएसपी का हक छीनकर उन्हें बंधुआ खेती में धकेल रही है। किसान विरोधी बिलों के खिलाफ संघर्ष ही भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि है।’’ दिल्ली में भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इन कानूनों का विरोध करते हुए इंडिया गेट के निकट एक ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया। इस संदर्भ में संगठन के पांच कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

तीनों विधेयकों को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी

रविवार को भी देश के कई हिस्सों में किसानों व राजनीतिक दलों ने कृषि कानून के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी। गजट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी। ये विधेयक हैं- 1) किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, 2) किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और 3) आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है।

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