अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में दो साल से निलंबित चल रहे डॉ. कफील खान के लिए राहत की खबर है। गोरखपुर के बीआरडी अस्पातल में बच्चों की मौत के मामले में डॉक्टर कफील आरोप मुक्त हो गए हैं। एक विभागीय जांच ने उन्हें चिकित्सा लापरवाही, भ्रष्टाचार के आरोपों और हादसे के दिन अपना कर्तव्य नहीं निभाने के सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। गुरुवार को बीआरडी अधिकारियों ने रिपोर्ट की एक कॉपी डॉ. कफील को सौंपी है।
2 साल बाद आरोपों से मुक्त हुए डॉक्टर कफील
बता दें कि इन आरोपों के लिए डॉक्टर कफील को 9 महीने जेल में बिताने पड़े थे। अब करीब दो साल बाद वह इन आरोपों से मुक्त हुए हैं। जमानत पर बाहर आने के बावजूद डॉ. कफील लगातार निलंबित रहे। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की है।
5 महीने तक उन्हें अंधेरे में रखने के लिए कफील ने राज्य सरकार को ठहराया जिम्मेदार
न्यूज एजेंसी आईएनएस के मुताबिक, जांच अधिकारी हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव (टिकट और पंजीकरण विभाग) को यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 18 अप्रैल को रिपोर्ट सौंपी थी। कफील ने पांच महीने तक उन्हें अंधेरे में रखने के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
'कफील ने सीनियर्स को अवगत कराया था'
जांच की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. कफील अपने सीनियर अधिकारियों को ऑक्सीजन की कमी के बार में पहले ही सूचित कर चुके थे और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सात ऑक्सिजन सिलेंडर भी दिए थे। इसके अलवा रिपोर्ट में यह भी है कि तब कफील बीआरडी में इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोएल मेडिकल ऑफिसर इन-चार्ज नहीं थे। 15 पन्नों की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कफील अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस में शामिल थे, लेकिन उसके बाद नहीं।
क्या था मामला
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण पांच दिनों में 60 बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में डॉ. कफील सहित 9 लोगों पर आरोप था।