सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह असंगठित कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा अधिनियम के तहत घरेलू सहायकों को पंजीकृत नहीं करने वाले राज्यों की कोई भी ग्रांट मंजूर न करे। कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि कुछ राज्यों ने उसके पिछले 11 जनवरी के आदेश पर कोई कदम नहीं उठाया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह निर्देश एनजीओ श्रमजीवी महिला समिति की याचिका पर दिया है। मामले में अब आठ अगस्त को सुनवाई होगी। जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस एमएम शांतानागौदार की बेंच ने कहा कि भारत में 30 लाख महिलाओं समेत 48 लाख लोग सहायक के तौर पर काम करते हैं लेकिन कई राज्यों ने पिछले आदेश पर कोई कदम नहीं उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी के आदेश में फरवरी से घरेलू सहायकों का पंजीकरण शुरू करने को कहा गया था। बतौर पायलट प्रोजेक्ट उसने पहले दिल्ली सरकार को तत्काल प्रभाव से घरेलू सहायकों का पंजीकरण करने को कहा था तथा सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी करते हुए हर राज्य के मुख्य सचिवों या विभागों के प्रधान सचिवों को इस मामले पर स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था।
घरेलू नौकरों को उत्पीड़न, मानव तस्करी और अपराध से बचाने के लिए केंद्र ने 2008 में असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा कानून बनाया था। सभी राज्यों को घरेलू सहायकों का रजिस्ट्रेशन करना था, लेकिन 10 साल बाद भी इस पर अमल नहीं किया गया है।