चंडीगढ़, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानांे की तेजी से घटती संख्या के चलते केंद्र पर किसान संगठनों का दबाव भी घट गया है। सिंघु,टिकरी और गाजीपुर बॉडर पर दो महीने पहले की तुलना में किसानों की संख्या घटकर 20 फीसदी रह गई है। बॉर्डर पर इन दिनोंकिसान नेता भी नहीं हैं इसलिए भी आंदोलन को आगे बढ़ाने की दिशा में मार्ग दर्शन के अभाव में बचे हुए किसान भी अगले दो हफ्ते में गेहूं की तैयार फसलों की कटाई के लिए घरों का रुख करने लगे हैं।
केंद्र पर दबाव दबाव बनाए रखने को भले ही पश्चिमी यूपी के किसान नेता राकेश टिकेट समेत पंजाब भाकियू के बलबीर सिंह राजेवाल,हरियाणा के गुरनाम सिंह चढूनी और स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव इन दिनों भाजपा के खिलाफ पश्चिमी बंगाल के चुनाव मैदान में उतरे हैं पर भाजपा इन्हें हलके में ले रही हे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह को यही फीडबैक दिया जा रहा है कि मुद्दों से भटके किसान आंदोलन के जनसमर्थन खाने की वजह से इसे तरजीह देने की जरुरत नहीं। इसी वजह से किसान संगठनों के साथ 12 दौर की वार्ता के बाद पिछले दो महीने से बातचीत भी बंद हैं। भाजपा आलाकमान को यही बताया जा रहा है कि कभी एमएसपी की गारंटी करने की मांग करने वाले किसान टोल प्लाजा फ्री करने,दूध 100 रुपए लीटर बेचने जैसी मांगों की वजह से अपने असल मुद्दों से भटक गए हैं इसलिए भटका हुआ यह आंदोलन भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। इसे गंभीरता से लेने की जरुरत नहीं है।
किसान नेताओं पर निशाना साधते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि इन कथित नेताओं के बहकावे में आकर कई किसान तैयारी अपनी गेहूं की फसलें उजाड़ रहे हैं। किसानों के हितों की दुहाई देने वाले ये कथित किसान नेताओं के पीछे कांग्रेस अपनी िसयासी स्वार्थ साध रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को चुनाव में विधायक की उम्मीदवारी का झांसा देकर ही कांग्रेस ने विधानसभा में भाजपा जजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की साजिश पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। इधर हरियाणा विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता एंव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि किसान आंदोलन कमजोर नहीं पड़ा है,मजूबती के साथ कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है। आने वाले समय मंे आंदोलन को गति देने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर तमाम तरह के इंतजाम जोरों पर हैं। हुड्डा ने कहा कि जब तक तीनांे कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे।
26 को भारत बंद का आह़वान: दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के घटते दबाव के चलते संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मार्च को भारत बंद का आह़वान किया है। माेर्चा के संयोजक डा.दर्शन पाल ने बताया कि 26 मार्च को आंदोलन के चार महीनें पूरे होने के अवसर पर पूर्ण भारत बंद के आयोजन की योजना है। बंद की सफलता की रणनीति तय करने के लिए मौर्चे ने 17 मार्च को सिंघु बॉर्डर धरना स्थल पर तमाम किसान संगठनों की बैठक बुलाई है। भारत बंद में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के अलावा मोदी सरकार की विभिन्न जन-विरोधी नीतियों जैसे डीजल, पेट्रोल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों और सावर्जनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ हल्ला बोला जाएगा।