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जलवायु परिवर्तन: 2030 तक 1.5 डिग्री तक बढ़ सकता है वैश्विक तापमान, भारत के लिए भी खतरा

जलवायु परिवर्तन पर आई दुनिया की सबसे बड़ी समीझा रिपोर्ट के अनुसार भारत को गर्म हवा के घातक थपेड़ों का...
जलवायु परिवर्तन: 2030 तक 1.5 डिग्री तक बढ़ सकता है वैश्विक तापमान, भारत के लिए भी खतरा

जलवायु परिवर्तन पर आई दुनिया की सबसे बड़ी समीझा रिपोर्ट के अनुसार भारत को गर्म हवा के घातक थपेड़ों का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले साल 2015 में इसी तरह की लू ने 2500 लोगों की जान ले ली थी। रिपोर्ट के अनुसार अगर दुनिया में 2 डिग्री से ज्यादा तापमान बढ़ गया तो यह गंभीर संकट पैदा कर सकता है। यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पैनल (आईपीसीसी) की ओर से जारी की गई है।

2030 तक वैश्विक तापमान में हो सकता है 1.5 डिग्री का इजाफा

इस रिपोर्ट के प्रभावों पर सोमवार को पोलैंड में काटोवाइस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान चर्चा होगी। यहां दुनिया भर की सरकारों पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते की एक बार फिर समीक्षा करेंगी। दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जक देशों में से एक होने की वजह से भारत की भूमिका इस सम्मेलन में महत्वपूर्ण होगी।

बढ़ते तापमान को लेकर आई हालिया रिपोर्ट भीषण संकट के अलार्म की तरह है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 के बाद वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 'अगर इसी दर से तापमान में इजाफा होता रहा तो साल 2030 से 2052 के बीच ग्लोबल वॉर्मिंग के 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की संभावना है।'

भारत के लिये भी तापमान को 1.5 डिग्री से नीचे रखना क्यों जरुरी है इसको समझाते हुए ग्रीनपीस के कैंपेन मैनेजर नंदीकेश शिवालिंगम कहते हैं, “भारत उन सबसे संवेदनशील देशों में शामिल है जहां जलवायु परिवर्तन की वजह से चरम मौसम की घटनाएँ होती हैं। आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार भारत जैसे क्षेत्र अत्यंत गर्म हवा की चपेट में आ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत जैसे विकासशील देशों के जीडीपी को भी नुकसान पहुंचेगा। भारत के तटीय इलाके पहले ही समुद्र स्तर के बढ़ने की वजह से संघर्ष कर रहे हैं, जो कि अगर तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे नहीं रखा जाता है तो उससे और ज्यादा बढ़ेगा।”

नंदीकेश कहते हैं, “भारत का जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता तारीफ के काबिल है। दुनिया भर के देशों में भारत का अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य सबसे महत्वाकांक्षी है। फिलहाल भारत का इलेक्ट्रिक परिवहन की तरफ बढ़ने की योजना से हमारे पास बिजली और परिवहन व्यवस्था में बदलाव लाने का सबसे सही मौका है। ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव तेजी से हो रहा है। हम अब जिवाश्म ईंधन वाली अर्थव्यवस्था से अक्षय ऊर्जा वाले भविष्य की तरफ बढ़ रहे हैं। लेकिन इसको भी प्रभावकारी बनाने के लिये भारत को अपने कोयला और तेल में निवेश की योजना को फिर से सोचना होगा।”

पाकिस्तान के करांची का भी जिक्र

रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान के शहरों कोलकाता और करांची का साफ तौर पर जिक्र किया गया है कि इन शहरों को घातक गर्म हवाओं का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में लिखा है, 'करांची और कोलकाता को साल 2015 जैसे गर्म थपेड़ों का सामना करना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है।'

भारत के प्रमुख शहरों में इतना बढ़ा तापमान

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 150 वर्षों में दिल्ली के तापमान में एक सेल्सियस, मुंबई में 0.7 सेल्सियस, कोलकाता में 1.2 सेल्सियस, चेन्नई में 0.6 सेल्सियस तापमान बढ़ा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शहरों को जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है और वैश्विक तापमान 2030 तक 1.5 सेल्सियस के मार्क को पार कर सकता है।

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