कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख लीक होने के मामले में जांच के लिए चुनाव आयोग ने समिति का गठन किया है। यह समिति अगले सात दिनों में आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बता दें, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तिथि चुनाव आयोग से पहले ही घोषित कर दी। इसके बाद यही तिथि चुनाव आयोग ने घोषित की। वहीं, कर्नाटक कांग्रेस सोशल मीडिया प्रभारी श्रीवत्स ने भी इसी समय पर तारीखों का ऐलान किया। अमित मालवीय ने चुनाव आयोग को दी गई सफाई में कहा है कि उन्होंने एक न्यूज चैनल देखकर यह ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने ट्वीट 11.08 मिनट पर किया था जबकि इस चैनल ने दो मिनट पहले यानी 11.06 मिनट पर खबर चला दी थी।
इस घटना को लेकर चुनाव आयोग को शर्मिदगी झेलनी पड़ी है। चुनाव की तिथि 'लीक' होने के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत ने पहले तो मालवीय द्वारा घोषित चुनाव तिथि को अनुमान कहकर खारिज कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि आयोग इस मामले की जांच करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।
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आयोग ने मंगलवार सुबह लगभग 7.45 बजे मीडिया को 11 बजे के संवाददाता सम्मेलन के बारे में सूचित किया और निमंत्रण में इस बात का जिक्र नहीं था कि यह संवाददाता सम्मेलन कर्नाटक के बारे में था। संवाददाता सम्मेलन 11 बजे से थोड़ी देर से शुरू हुआ, और रावत ने पहले चुनावी तैयारियों, मतदाताओं के लिए सुविधाओं, नई पहलों, वीवीपैट और अन्य के बारे में लगभग 15 मिनट तक बात की और उसके बाद उन्होंने तिथि घोषित की। मालवीय ने सुबह 11.08 बजे चुनावी तिथि के बारे में ट्वीट किया। लेकिन इसे लेकर खड़े हुए सवालों के बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया।
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इसके बाद भाजपा और चुनाव आयोग पर सवाल उठने लगे। बाद में भाजपा ने चुनाव आयोग को बताया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख के बारे में उसके आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय का ट्वीट एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट पर आधारित है और कांग्रेस के एक प्रदेश प्रभारी ने भी इसके बारे में ट्वीट किया है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में भाजपा का एक शिष्टमंडल आयोग गया। नकवी ने बाद में मीडिया से कहा कि मालवीय को ट्वीट नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मालवीय का ट्वीट एक न्यूज चैनल की खबर पर आधारित था और उनका चुनाव आयोग के प्राधिकार को कमतर करने का कोई इरादा नहीं था।