प्रवर्तन निदेशालय ने तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई। अब ईडी द्वारा सरकारी अस्पताल से चेन्नई के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रवर्तन निदेशालय की बात रखी और कहा कि बालाजी एक प्रभावशाली मंत्री हैं। बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत और एमएम सुंदरेश की अवकाश पीठ 21 जून को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई। विद्युत मंत्री बालाजी को गिरफ्तार करने के बाद सीने में दर्द की शिकायत के चलते चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
हालांकि, बाद में मद्रास उच्च न्यायालय ने 15 जून को उन्हें अपनी पसंद के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी। इसके उपरांत तमिलनाडु सरकार मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से उन्हें अलवरपेट के कावेरी अस्पताल रेफर किया गया। जांच के पश्चात डॉक्टरों ने उन्हें बाइपास सर्जरी की सलाह दी है।
उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश मंत्री की पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें जांच एजेंसी के अधिकारियों पर ऐसा नहीं करने का आरोप लगाया गया था। दरअसल, उनकी पत्नी चाहती थीं कि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने में ईडी की विफलता के लिए गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि ईडी ने वर्ष 2021 में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दायर एक प्रवर्तन मामला सूचना रजिस्टर (ईसीआईआर) के संबंध में बालाजी को गिरफ्तार किया था। साल 2015 में तत्कालीन जयलालिया सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए बालाजी के खिलाफ कैश-फॉर-जॉब मामले में कथित संलिप्तता के लिए स्थानीय पुलिस ने 2018 में दर्ज की गई तीन प्राथमिकियों के आधार पर ईसीआईआर दर्ज किया था। बाद में वह दिसंबर 2018 में डीएमके में शामिल हुए और मई 2021 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद विद्युत मंत्री का पद संभाला।