प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी में गोद लिए डोमरी गांव पर एक रिपोर्ट लिखने वाली स्क्रॉल की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चिंता जताई है। शुक्रवार को एक बयान जारी कर गिल्ड ने कहा है कि सरकार ऐसा कर कानून का दुरुपयोग कर रही है, जो निंदनीय है जिसे तत्काल वापस लिया जाए। गिल्ड का कहना है कि पत्रकारों के खिलाफ कानून के आपराधिक प्रावधानों का उपयोग अब एक अस्वास्थ्यकर और घृणित प्रवृत्ति बन गया है जिसका किसी भी जीवंत लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। गिल्ड इसके खत्म करने की मांग के साथ ही इसका पुरजोर विरोध करता है।
वाराणसी के रामनगर पुलिस स्टेशन में यह एफआईआर 13 जून को आईपीसी की धारा 269 और 501 के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति कानून के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। माला देवी की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया है जिसे अपनी रिपोर्ट में सुप्रिया ने कोट किया था और जो स्क्रॉल पर आठ जून मं प्रकाशित की गई थी।
पीएम को गोद लिए गांव की रिपोर्ट की थी प्रकाशित
गिल्ड ने बयान में स्पष्ट किया है कि सुप्रिया ने 5 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के डोमरी गाँव में माला देवी का साक्षात्कार किया था और उनके बयानों को “प्रधान मंत्री मोदी द्वारा गोद लिए गए वाराणसी गांव में, लॉकडाउन के दौरान लोग भूखे रहने को मजबूर हुए” लेख में सटीक रूप से बताया गया था।
बढ़ती प्रवृत्ति लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ को नष्ट करने जैसा
स्क्रॉल.इन के स्पष्ट कथन के मद्देनजर, गिल्ड का मानना है कि आईपीसी और एससी-एसटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं का इस्तेमाल गलत तरह से किया है और यह मीडिया की स्वतंत्रता को गंभीरता से कम करेगा। गिल्ड सभी कानूनों का सम्मान करता है और साथ ही माला देवी के बचाव के अधिकार से भी खुद को रोकता है, लेकिन ऐसे कानूनों के अनुचित दुरुपयोग को भी निंदनीय मानता है। इससे भी बदतर, अधिकारियों द्वारा कानूनों के इस तरह के दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के लोकतंत्र के एक प्रमुख स्तंभ को नष्ट करने की तरह है।