एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा नॉर्थ ब्लॉक में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगाने के फैसले का विरोध किया है और इसे वापस लेने की मांग की है। गिल्ड ने इसे प्रेस की आजादी के लिए खतरा बताया है और कहा है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रेस की आजादी को लेकर भारत की छवि और खराब होगी। फिलहाल केवल उन्हीं मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अंदर जाने दिया जा रहा है जिन्होंने पहले से मिलने का समय ले रखा है। गिल्ड का कहना है कि मंत्रालय के साथ इस बात से गिल्ड का कोई विवाद नहीं है कि पत्रकारों को संयम और जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना चाहिए लेकिन इस तरह का आदेश इसका उत्तर नहीं है।
'वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में आ सकती है गिरावट'
गिल्ड के मुताबिक, पत्रकार सरकारी दफ्तरों में सुविधा और विजटर्स रूम के आव-भगत के लिए नहीं जाते हैं। वे वहां खबरें जुटाने के अपने चुनौतीपूर्ण काम के लिए जाते हैं। यह आदेश मीडिया की स्वतंत्रता पर एक कुठाराघात है और इससे भारत की वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में और गिरावट आ सकती है और दूसरे मंत्रालयों में भी ऐसा हो सकता है। अगर वित्त मंत्री का मानना है कि सरकारी कार्यालयों में पत्रकारों की पहुंच की वजह से कुछ असुविधाएं हो रही हैं तो पत्रकारों के साथ बातचीत करके इसमें सुधार किया जा सकता है। गिल्ड ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने का निवेदन किया है।
क्या है मामला
पुरानी परिपाटी के तहत वित्त मंत्रालय के कार्यालय वाला नॉर्थ ब्लॉक केवल बजट पेश होने से पहले दो महीने तक मीडिया की पहुंच से दूर रहता था लेकिन इस साल 5 जुलाई को 2019-20 वर्ष का बजट पेश होने के बाद भी मंत्रालय के गेट पर तैनात गार्ड बिना अपॉइंटमेंट के पत्रकारों को भीतर नहीं जाने दे रहे हैं। यहां तक कि पीआईबी कार्ड धारक मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी रोका जा रहा है।
अपॉइंटमेंट के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा
स्पष्टीकरण में कहा गया है कि पीआईबी से मान्यता प्राप्त सहित सभी मीडियाकर्मियों को पहले से लिए गए अपॉइंटमेंट के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय, नॉर्थ ब्लॉक में प्रवेश पर और कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। मीडियाकर्मी अधिकारियों से मिलने के लिए समय ले सकते हैं। मिलने का समय लेने के बाद पीआईबी कार्ड धारकों को अलग से प्रवेश पास बनवाने की जरूरत नहीं होगी।