लोकसभा के एक पैनल ने कई पूर्व सांसदों को सात दिनों के भीतर सरकारी बंगले खाली करने को कहा है। कई पूर्व सांसदों ने 16वीं लोकसभा के भंग होने के दो महीने बाद भी सरकारी आवास खाली नहीं किए। कथित तौर पर 200 से अधिक ऐसे सांसद हैं जिन्हें अपने बंगले खाली करने हैं। सीआर पाटिल, अध्यक्ष, आवास समिति ने कहा, 'सभी पूर्व सांसदों को सरकारी आवास खाली करने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। अधिकारियों ने तीन दिनों के भीतर इन आवासों को बिजली और पानी की आपूर्ति बंद करने को कहा गया है।'
'एक महीने में खाली करने थे बंगले'
नियमों के अनुसार पूर्व सांसदों को पिछली लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर अपने-अपने बंगले खाली करने थे। लोकसभा के 200 से अधिक पूर्व सांसदों ने अब तक अपने सरकारी बंगलों को खाली नहीं किया है। इन सांसदों को 2014 में ये बंगले आवंटित किए गए थे। लोकसभा चुनाव में जीतने वाले नवनिर्वाचित सांसद अस्थायी आवास में रह रहे हैं।
नवनिर्वाचित सांसदों को बंगलों का इंतजार
नवनिर्वाचित सांसदों को वेस्टर्न कोर्ट में अस्थायी आवास उपलब्ध कराए गए हैं और जब तक उन्हें लुटियंस दिल्ली में पूर्णकालिक आवास आवंटित नहीं किया जाता, तब तक कई अतिथि गृह हैं। पहले नव-निर्वाचित सांसद पांच-सितारा होटलों में तब तक रुकते थे, जब तक उन्हें एक पूर्णकालिक सरकारी बंगला आवंटित नहीं किया जाता था।
'कई सांसद पहली बार चुनकर आए'
17वीं लोकसभा में 260 से अधिक सांसद हैं, जो पहली बार निचले सदन के लिए चुने गए हैं, जिनमें क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, सूफी गायक हंस राज हंस और बंगाली अभिनेत्रियां मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां शामिल हैं।