दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 17 मार्च तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया है। वहीं, सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई 21 मार्च तक टाल दी गई है।
सुनवाई के दौरान ईडी ने सिसोदिया की 10 दिनों की हिरासत मांगते हुए कहा था कि घोटाला आबकारी नीति का मसौदा तैयार करने साथ शुरू हुआ, जिसे सिसोदिया और अन्य ने बनाया था। सिसोदिया के वकील ने ईडी का कड़ा विरोध किया।
इस दौरान ईडी ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ गवाह और अन्य सबूत हैं। सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबद्ध गठजोड़ का हिस्सा थे। साथ ही दावा किया कि सिसोदिया ने फोन से दूसरे सबूत नष्ट किए और फिर उन्होंने दूसरे के खरीदे गए फोन का इस्तेमाल किय। बार-बार गलत बयान दिए। पूरी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए सिसोदिया का अन्य लोगों से आमना-सामना कराना होगा जिसके लिए रिमांड जरूरी है।
सिसोदिया क वकील ने कहा कि नीति बनाना कार्यपालिका का काम है और इसे कई चरण से गुजरना पड़ता है। आबकारी नीति को उपराज्यपाल और अन्य ने मंजूरी दी। ईडी धन शोधन मामले में नीति निर्माण की जांच कैसे कर सकता है। जांच एजेंसी को सिसोदिया के खिलाफ कुछ नहीं मिला। मामला पूरी तरह मनगढंत है।
सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की 7 दिन की हिरासत के बाद उन्हें 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सिसोदिया को तिहाड़ जेल में रखा गया है। ईडी ने इसी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में तिहाड़ जेल में सिसोदिया से पूछताछ की और गुरुवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।