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एग्जिट पोल पूरी तरह से अवैध और ये हो रहे हैं चुनाव आयोग की आंखों के सामने: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने मंगलवार को दावा किया कि एग्जिट पोल पूरी तरह से अवैध हैं और ये...
एग्जिट पोल पूरी तरह से अवैध और ये हो रहे हैं चुनाव आयोग की आंखों के सामने: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने मंगलवार को दावा किया कि एग्जिट पोल पूरी तरह से अवैध हैं और ये चुनाव आयोग (ईसी) की आंखों के सामने हो रहे हैं। उन्होंने सवाल किया, "यह अवैधानिकता कैसे हो रही है।"

जी वी जी कृष्णमूर्ति स्मारक व्याख्यान को संबोधित करते हुए उन्होंने पूछा कि जब पहले चरण के मतदान शुरू होने के दिन से लेकर अंतिम चरण के मतदान समाप्त होने के आधे घंटे बाद तक "निषिद्ध अवधि" के दौरान एग्जिट पोल आयोजित करने पर प्रतिबंध है, तो फिर ये कैसे हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जब उस अवधि में एग्जिट पोल आयोजित नहीं किए जा सकते, तो मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद कैसे दिखाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमारी और चुनाव आयोग की आंखों के सामने चुनाव आयोग की संलिप्तता के साथ एक स्पष्ट अवैधता हो रही है।"

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 ए में 2009 में किए गए संशोधन के अनुसार, निषिद्ध अवधि के दौरान किसी भी तरह से एग्जिट पोल के परिणामों का संचालन, प्रकाशन और प्रसार प्रतिबंधित है।

चुनावी बांड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि छह साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास समय नहीं था और उसने इस मुद्दे को लंबे समय तक ठंडे बस्ते में डाल दिया। कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) थे। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को कई चुनावी सुधारों का श्रेय दिया जाना चाहिए, जिसमें उम्मीदवारों को उनके खिलाफ आपराधिक मामलों के साथ-साथ उनकी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करने का निर्णय भी शामिल है।

भारत को "त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र" बताने वाले एक सूचकांक का जिक्र करते हुए कुरैशी ने कहा कि शुरू में वह रिपोर्ट से परेशान थे और उन्हें लगा कि यह "पश्चिमी साजिश" है। उन्होंने कहा, "लेकिन जब मैंने अध्ययन किया, तो मुझे बिल्कुल सही कारण मिले, जिसके बारे में नागरिक चिंतित हैं।" उन्होंने कहा, "(तब, जब रिपोर्ट आई थी) संसद में केवल सात प्रतिशत महिलाएं थीं। जाहिर है कि यह पूर्ण लोकतंत्र नहीं है।" उन्होंने कहा कि उस समय 40 प्रतिशत सांसदों का आपराधिक इतिहास था। उन्होंने कहा, "हम एक दोषपूर्ण लोकतंत्र हैं, लेकिन इसके लिए हम स्वयं ही दोषी हैं।"

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