घोटाले को लेकर सुर्खियों में रही बोफोर्स तोप के स्वदेशी संस्करण धनुष पर भी फर्जीवाड़े का दाग लग गया है। आरोप हैं कि इन तोपों के लिए "मेड इन जर्मनी" के नाम पर चाइनीज कल-पुर्जों की आपूर्ति कर दी गई। सीबीआई ने इस मामले में कल-पुर्जे सप्लाई करने वाली कंपनी सिद्ध सेल्स सिंडीकेट और जबलपुर के गन्स कैरिज फैक्ट्री के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज कराई है।
सीबीआई के मुताबिक, धनुष तोप में लगने वाले जिस सामान को "मेड इन जर्मनी" बताकर सप्लाई किया गया, वह चाइनीज निकला। 2013 में धनुष के लिए चार बेयरिंग का 35.38 लाख रुपए का ऑर्डर सिद्ध सेल्स सिंडिकेट को दिया गया था। 27 अगस्त 2014 को इस ऑर्डर में संशोधन कर 4 की जगह 6 बेयरिंग का ऑर्डर दिया गया और कीमत भी बढ़ाकर 53.07 लाख रुपए कर दी गई थी। कंपनी ने अप्रैल 2014 से अगस्त 2014 के बीच ये बेयरिंग सप्लाई किए, लेकिन सीबीआई जांच में पता चला कि सप्लाई किए गए जो बेयरिंग "मेड इन जर्मनी" बताए गए थे, वे "मेड इन चाइना" थे। इन्हें "मेड इन जर्मनी" साबित करने के लिए कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया।
धनुष 155 एमएम की तोप है जिसे जबलपुर की आयुध फैक्ट्री में विकसित किया जा रहा है। यह देश की पहली तोप है जिसके 90 फीसदी कलपुर्जे भारत में बने हैं। साल 2016 में तीन धनुष तोपें भारतीय सेना को ट्रायल के लिए दी गई थीं। इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित परेड में भी इन्हें शामिल किया गया था। जबलपुर की गन्स कैरिज फैक्टरी में बनीं 155 मिमी धनुष तोप की लागत 14.50 करोड़ रुपये है।
आखिर चरण में धनुष का परीक्षण फेल
पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तनातनी के बीच खबर है कि स्वदेशी बोफोर्स कही जा रही धनुष तोप का परीक्षण आखिरी दौर में जाकर असफल हो गया है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि परीक्षण के दौरान तोप के गोले का खोल मजल ब्रेक से टकरा गया और तोप की नाल का यह अहम हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। मजक ब्रेक तोप की नाल पर लगा होता है जो गोला छूटने से लगने वाले झटके को नियंत्रित करता है। परीक्षण में फेल हो जाने से धनुष को जल्द सेना में शामिल करने की उम्मीदों को झटका लग सकता है। सूत्रों के अनुसार, तोप में यह समस्या मई महीने में परीक्षण के दौरान भी आई थी। टेस्ट में फेल हो जाने के बाद तोप के डिजाइन को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।