रविवार को दादरी-भिवानी राजमार्ग पर दिल्ली से 120 किलोमीटर दूर किठलाना सीमा चौकी के पास एक महापंचायत हुई। इसमे लगभग 1 लाख किसान शामिल हुए। किसानों के साथ इस तरह की बैठकें नियमित रूप से होने की उम्मीद है। महापंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, दर्शनपाल सिंह और बलबीर सिंह राजेवाल ने संबोधित किया। महापंचायत में हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर-प्रदेश की 50 से अधिक खापों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त क रने और एमएसपी अनिवार्य करने की बात कही गई। किसान नेता राकेश टिकैत ने मंच से ऐलान किया कि किसानों की मांगें पूरी होने तक आंदोलन किसी भी सूरत में खत्म नहीं होगा। सरकार ये बात भली-भांति समझ ले।
कुछ एफपीओ के प्रतिनिधियों ने भी इसमें भाग लिया, यह बैठक उत्तर प्रदेश की कुछ हालिया बैठकों के विपरीत शांतिपूर्ण थी, जहां पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर किया और यहां तक कि लोगों को किसी भी रैलियों में भाग लेने से भी धमकाया। करीब ढाई घंटे चली महापंचायत में मंच से पांच प्रस्ताव पारित किए गए।
किसान नेताओं से कहा कि आंदोलन को अब किसी भी सूरत में कमजोर नहीं पड़ने देना है। देश के किसान आंदोलन के जरिये इतिहास लिख चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा कार्यकारिणी सदस्य दर्शनपाल सिंह ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि 26 जनवरी के प्रकरण के बाद सरकार ने दमनकारी नीतियां अपनाई हैं लेकिन किसान संगठनों और खापों की मदद मिलने से किसान आंदोलन अब और मजबूत हो गया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर धरनास्थलों पर सरकार बिजली-पानी समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बंद करने पर तूली है। सरकार इस बात को अच्छी प्रकार से समझ ले कि किसान अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की 40 सदस्यीय कमेटी में शामिल बलबीर सिंह राजेवाल ने महापंचायत में कहा कि किसान जमीन से अलग नहीं रह सकता। आरएसएस और भाजपा के लोग गुमराह करने में लगे हैं लेकिन वो कभी सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की जमीन कॉरपोरेट घरानों को सुपुर्द करना चाहती है लेकिन किसान इस मंसूबे को कभी पूरा नहीं होने देंगे।