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एक कैशलैस पद्धति यह भी, ओडिशा में मजदूरी के बदले मजदूरी फिर शुरू

विमुद्रीकरण के बाद ओडिशा में धान फसल की कटाई के साथ ही पुराने दिनों की श्रम अदलाबदली की परंपरा बदलिया भी फिर से शुरू हो गयी है। बदलिया एक-दूसरे के खेतों में मजदूरी के बदले मजदूरी करने की परंपरा है, जिससे ओडिशा के तटीय जिलों के कुछ हिस्सों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।
एक कैशलैस पद्धति यह भी, ओडिशा में मजदूरी के बदले मजदूरी फिर शुरू

विमुद्रीकरण के बाद नकदी की जरूरत कम करने के लिए अब जुगल किशोर लेंका जैसे छोटे और सीमांत किसान फसल के मौसम में अपने सहयोगी किसान के खेत में काम करने को तैयार हैं।

इसके साथ ही सुदाम साहू भी इसी कठिनाई का सामना कर रहे हैं और उन्होंने जगतसिंहपुर जिले के गोडा गांव के रहने वाले 45 वर्षीय लेंका के साथ एक-दूसरे के खेतों में मजदूरी करने का निर्णय किया है। विमुद्रीकरण के बाद भूमालिकों को धान की कटाई के लिए नकदी की समस्या सामने आ गयी।

करीब आधा एकड़ सिंचित भूमि के मालिक लेंका ने कहा, हम जल्द ही धान की कटाई शुरू कर देंगे। नोट की कमी से हम खेतिहर मजदूरों से काम लेने में असमर्थ हैं। मेरे ही गांव के सुदाम साहू भी इसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं। हमारे पास चार मजदूर हैं, जो खरीफ की खेती में व्यस्त हैं। अब हम फसल की कटाई के लिए एक-दूसरे के साथ मजदूरी की अदलाबदली कर रहे हैं।

बदलिया एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें खेतिहर मजदूर की जरूरत नहीं होती और किसान बगैर पैसा लिये एक-दूसरे के खेत में काम करते हैं। बदले में दूसरा किसान भी उसके खेत में उतने ही घंटे काम कर देता है।

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