जैदी ने नई दिल्ली में कहा कि आयोग के विचार से कानून मंत्रालय के अलावे संसदीय समिति को भी अवगत करा दिया गया है कि ऐसे प्रस्ताव के लिए राजनीतिक आम सहमति की प्रक्रिया के जरिए संविधान संशोधनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आयोग कुछ अतिरिक्त संसाधनों के साथ भविष्य में एकसाथ चुनाव कराने का काम कर सकता है, यद्यपि इसके लिए दो पूर्व शर्तें हैं।
उन्होंने कहा कि पहली यह कि राजनीतिक आम सहमति से संविधान में एक संशोधन होना चाहिए और हमें इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन जैसे कुछ अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत होगी।
जैदी सातवें राष्टीय मतदाता दिवस से पहले चुनाव आयोग की ओर से स्टैटेजीस फॉर इम्पावरिंग यंग एंड फ्यूचर वोटर्स विषय पर आयोजित एक सेमिनार के इतर बोल रहे थे।
गत वर्ष चुनाव आयोग ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के विचार का समर्थन किया था लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि इसमें काफी खर्च आएगा और कुछ राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल कम करने या बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।
कानून मंत्रालय ने आयोग से संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट पर अपने विचार देने के लिए कहा था जिसने एकसाथ चुनाव कराने का समर्थन किया था। आयोग ने मई में कानून मंत्रालय को भेजे अपने जवाब में कहा था कि वह प्रस्ताव का समर्थन करता है लेकिन इस पर नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।
आयोग ने संसद की एक समिति के समक्ष भी ऐसी ही मुश्किलें व्यक्त की थीं जिसने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की व्यावहारिकता पर अपनी रिपोर्ट गत दिसंबर में दी थी।
सेमिनार में आस्ट्रेलिया, बोस्निया-हर्जागोविना, फिजी और नेपाल के चुनाव आयोगों के साथ सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर हुए। जैदी ने कहा कि सेमिनार का मुख्य जोर पहली बार मतदान करने वालों पर है जो 18 वर्ष के हुए हैं और संभावित मतदाता जो 15-17 वर्ष आयुवर्ग में हैं। उन्होंने कहा कि इन दो वर्गों को चुनावी लोकतंत्र का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 15-17 वर्ष के आयुवर्ग में 6.2 करोड़ लोग हैं। (एजेंसी)