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भाजपा के लिए जासूसी का हथियार था आधार: राहुल गांधी

आधार की अनिवार्यता को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस अहम फैसला सुनाया। कांग्रेस के साथ-साथ पार्टी...
भाजपा के लिए जासूसी का हथियार था आधार: राहुल गांधी

आधार की अनिवार्यता को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस अहम फैसला सुनाया। कांग्रेस के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। राहुल ने कहा कि भाजपा के लिए आधार जासूसी का हथियार था। 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आधार की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के लिए आधार सशक्तिकरण का माध्यम था। बीजेपी के लिए आधार जासूसी का टूल। कांग्रेस के विजन को समर्थन देने और प्रोटेक्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार।'

'कोर्ट ने हमारी बात मानी' 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि ये आधार कार्ड नहीं सरकारी अधिकार कार्ड और निजी कम्पनियों का आधार एक्ट बन गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि करोड़ो लोगों की निजी जानकारी प्राइवेट कंपनियों के पास है। इसका दुरुपयोग होगा। ये असंवैधानिक है। अब सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात मान ली है।

ये यूपीए सरकार की नीतियों पर फैसला: सिब्बल 

सिब्बल ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि यह यूपीए सरकार की नीतियों पर फैसला है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘लाखों लोग जो खेतों में काम करते हैं, उनके बायोमेट्रिक खत्म हो जाते हैं, कई बुजुर्ग लोगों को मोतियाबिंद हो जाता है, जिसके कारण उनको सुविधाएं नहीं मिल पातीं। इस बारे में हम फैसला पढ़कर याचिका डालेंगे, ताकि उनको भी सुविधाएं मिल सकें’।

जरूरत पड़ी तो फिर जाएंगे कोर्ट: सिब्बल

सिब्बल ने कहा कि धारा 57 को कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। ये बहुत बड़ी जीत है, क्योंकि भविष्य में सरकार क्या करती इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा कि लोकसभा का स्पीकर अगर किसी बिल को मनी बिल करार देगा तो कोर्ट इस पर सुनवाई कर सकती है। अगर सरकार संशोधन करना चाहेगी तो हम सुप्रीम कोर्ट दुबारा जाएंगे। हम जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ हैं। ये मनी बिल नहीं है।

7 जजों की बेंच के पास करेंगे सुनवाई की मांग: कपिल

कांग्रेस नेता ने कहा कि कोर्ट ने निर्धन लोगों के मद्देनजर इस कानून को ठीक करार दिया है, लेकिन संशोधन के वक्त हम सुप्रीम कोर्ट दुबारा जाएंगे और 7 जजों की बेंच के पास सुनवाई की मांग करेंगे। ये साफ नहीं है कि मेहनतकश लोग जिनके बायो‌ ‌िममिट्रिक डिटेल मिट गए हैं, उनके लिए सरकार क्या करेगी?

डाटा प्रोटेक्शन लॉ में करना होगा संशोधन

सिब्बल ने कहा, हम फैसले का अध्ययन करेंगे। जरूरी हुआ तो इसके लिए भी हम फिर कोर्ट जाएंगे। कोर्ट ने ये भी कहा है कि 6 महीने तक डेटा नहीं रख सकते। अभी ये साफ नहीं है कि उसे कैसे खत्म किया जाएगा। सिब्बल ने कहा कि अब डाटा प्रोटेक्शन लॉ में संशोधन करना होगा। इसलिए हम चाहते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा में इसकी चर्चा हो।

उन्होंने कहा कि अगर आधार को गिरा दिया जाता तो हाशिये पर खड़े लोगों को भी कुछ नहीं मिल पाता। इसलिए कोर्ट का सही फैसला है। हम संशोधन के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे।

 

 

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